इसके साथ ही मुस्लिम पक्षकारों को 5 एकड़ जमीन दिए जाने के खिलाफ हिंदू महासभा भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी.
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नई दिल्ली: अयोध्या केस (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज चार अलग-अलग पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की जाएंगी. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इन याचिकाओं का समर्थन किया है. मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से मिसबाहुद्दीन, मौलाना हसबुल्लाह, हाजी महबूब और रिजवान अहमद पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल करेंगे. वरिष्ठ वकील राजीव धवन कोर्ट में इन याचिकाओं की पैरवी करेंगे. कहा जा रहा है कि जुमे की नमाज के बाद इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाएगा. इसके साथ ही मुस्लिम पक्षकारों को 5 एकड़ जमीन दिए जाने के खिलाफ हिंदू महासभा भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी. इसके साथ ही हिंदू पक्षकारों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर विचार करने को कहेगी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा अयोध्या केस (Ayodhya Case) में सुनाए गए फैसले के खिलाफ सोमवार को जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulema-E-Hind) ने रिव्यू पिटिशन दाखिल कर दी है. जमीयत-उलेमा-हिंद से जुड़े असद रशीदी की तरफ से 217 पन्नों की याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ने माना कि वहां नमाज होती थी फिर भी मुसलमानों को बाहर कर दिया. इसके साथ ही कहा गया है कि 1949 में अवैध तरीके से इमारत में मूर्ति रखी गई. फिर भी रामलला को पूरी जगह दी गई.
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अयोध्या केस: पुनर्विचार याचिका को लेकर चमकने की चाहत से मुस्लिम संगठनों में खींचतान?
वहीं अब रिव्यू पिटिशन को लेकर प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं. गौरतलब है कि अयोध्या फैसले को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदस्यों के बीच काफी मतभेद नजर आ रहे थे. जहां कुछ सदस्यों का मानना था कि अयोध्या फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जानी चाहिए. वहीं, कुछ का कहना था कि याचिका दाखिल करना उनका हक है.
इसी तरह बाबरी मस्जिद पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने रिव्यू पिटिशन को गलत ठहराया है. इकबाल अंसारी का कहना है कि हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मान लिया है. हम अपने स्टैंड पर कायम हैं. क्योंकि रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का कोई फायदा नहीं है. अयोध्या विवाद राजनीति से प्रेरित है. इकबाल अंसारी ने कहा कि अब इस मामले को खत्म कर देना चाहिए. लोगों ने खुले दिल से इसे अपना लिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया गया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के अंदर ही एक ट्रस्ट बनाने के भी आदेश दिए थे.