अयोध्या: राम जन्मभूमि परिसर में बन रहे राम मंदिर के चारों ओर सीता-अशोक वृक्ष लगाए जाएंगे. माना जा रहा है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा लगवाए जा रहे इन वृक्षों से राम मंदिर की आयु बढ़ेगी. खास कारण यह है कि सीता-अशोक वृक्ष लगभग 28 से 30 फीट ऊंचे होते हैं और डस्ट रोकने का काम करते हैं. इससे धूल-मिट्टी काफी हद तक मंदिर तक नहीं पहुंच पाएगी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सीता-अशोक वृक्ष के लगने से राम मंदिर में लगे पत्थरों की आयु लगभग 200 वर्ष बढ़ जाएगी. हालांकि, मंदिर का निर्माण इस तकनीक से किया जा रहा है कि उसकी आयु 1000 साल हो. इसमें सीता-अशोक वृक्षों का विशेष योगदान होगा.


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सकारात्मकता से लबरेज होते हैं सीता-अशोक वृक्ष
सीता-अशोक वृक्ष उत्तर प्रदेश का राज्य वृक्ष है. रावण द्वारा अपहरण कर लंका ले जाने के बाद अशोक वाटिका में मां सीता इसी वृक्ष के नीचे बैठा करती थीं. यह वृक्ष धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व रखते हैं. मान्यता है कि सीता-अशोक वृक्ष चमत्कारों से परिपूर्ण हैं और महिलाओं को शारीरिक व मानसिक ऊर्जा देते हैं. साथ ही, सभी प्रकार के शोक और वास्तु दोष भी नष्ट करते हैं. सीता-अशोक वृक्ष में कई औषधीय गुण भी होते हैं. इसे खुशियों का पेड़ भी कहते हैं.


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सामान्य अशोक से अलग होते हैं सीता-अशोक वृक्ष
पुणे विश्वविद्यालय में सीता-अशोक वृक्ष पर रिसर्च किया जा रहा है. विश्वविद्यालय परिसर में सीता-अशोक वृक्ष का एक बाग भी है. सीता-अशोक वृक्ष की खासियत है कि उसमें बहुत सुंदर फूल आते हैं, जबकि सामान्य अशोक के पेड़ में फूल नहीं होते हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपनी एक किताब के कवर पेज पर सीता-अशोक वृक्ष को जगह दी है. साथ ही, इस किताब के अंदर सीता-अशोक वृक्ष के गुणों को भी दर्शाया गया है. 


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