बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी जिले की पुलिस को अगर दंगाइयों या बवालियों के आगे कभी आंसू गैस के गोले दागने पड़े तो उनकी बंदूक ठांय-ठांय तो करेगी, लेकिन उसमें से बुलेट शायद ही निकल पाए. ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि बाराबंकी में आगामी त्योहारों के मद्देनजर पुलिस मॉक ड्रिल और दंगा नियंत्रण के लिए बलवा ड्रिल का अभ्यास कर रही थी. पुलिसकर्मियों को अलग-अलग तरह की गोलियां चलाने के लिए की ट्रेनिंग दी जा रही थी. इसी बीच मॉक ड्रिल में शामिल पुलिसकर्मियों ने जब पोजिशन लेकर फायर किया तो एक बार फिर वही मजाक हुआ, जो हम पहले भी कई बार देख चुके हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं हुआ फायर 


पहले और तीसरे पुलिसकर्मी ने फायर किया तो गोली ठीक निकली और दोनों ने राहत की सांस ली. लेकिन जब बारी दूसरे और चौथे पुलिसकर्मी के रबर बुलेट फायर करने की आई, तो दोनों की फायर पहली बार मिस हो गई. हद तो तब हुई जब बाराबंकी पुलिस की तमाम कोशिशें दोबारा भी रबर बुलेट फायर नहीं कर पाईं. ये पूरी घटना मीडिया के कैमरे में कैद हो गई. जिसके चलते बाराबंकी पुलिस का यह मॉक ड्रिल कार्यक्रम चर्चा का विषय बन गया.


CM योगी का वाराणसी दौरा आज, व्यापारी को पहले ही बता दिया था 'मैं जल्दी आता हूं'


बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि जब किसी विरोध प्रदर्शन में भीड़ उग्र हो जाती है तो वहां हमें संयमित बल का प्रयोग करना पड़ता है. आज उसी की प्रैक्टिस हो रही थी, जिसमें जिले के सभी आलाधिकारी मौजूद रहे. जबकि बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह ने बताया कि किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए हम लोगों ने मॉक ड्रिल की, जिसमें पुलिस-प्रशासन के आलाधिकारी भी मौजूद रहे. हालांकि इस मॉकड्रिल के बाद सवाल ये उठता है कि अगर दंगा या विरोध प्रदर्शन के दौरान यही फायर करना पड़ता तो क्या होता? 


WATCH LIVE TV