Bareilly News : बलिया के नरही थाने के बाद अब बरेली में वसूली कांड की घटना सामने आई है. बरेली के फरीदपुर कोतवाल रिश्‍वत लेकर स्‍मैक तस्‍करों को छोड़ दिया. इसकी जानकारी एसएसपी को हुई तो उन्‍होंने जांच टीम मौके पर भेज दी. जांच टीम को कोतवाली में आता देख रिश्‍वतखोर इंस्‍पेक्‍टर सात फीट की दीवार फांदकर नौ दो ग्‍यारह हो गया. इंस्‍पेक्‍टर के कमरे की तलाशी ली तो लाखों कैश मिला. बरेली पुलिस के इस कारनामे को लेकर सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. 


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रिश्‍वत लेकर स्‍मैक तस्‍कर को छोड़ा 
दरअसल, बरेली के फरीदपुर कोतवाली में इंस्‍पेक्‍टर रामसेवक तैनात हैं. बुधवार को फरीदपुर कोतवाल रामसेवक ने 300 ग्राम स्‍मैक के साथ तीन तस्‍करों को गिरफ्तार किया था. आरोप है कि कोतवाल रामसेवक ने तस्‍करों से 7 लाख रुपये लेकर दो तस्‍करों को छोड़ दिया. इसकी सूचना फरीदपुर सीओ गौरव यादव को हुई तो उन्‍होंने एसएसपी अनुराग आर्य को जानकारी दी. 


एसपी और सीओ ने मारा छापा 
इसके बाद एसएसपी अनुराग आर्य ने बरेली दक्षिण एसपी मानुष पारीक और सीओ गौरव यादव के नेतृत्‍व में टीम गठित कर फरीदपुर कोतवाली भेजा. गुरुवार दोपहर को इंस्‍पेक्‍टर रामसेवक फरीदपुर कोतवाली में मौजूद थे. इस बीच एसपी मानुष पारीक और सीओ गौरव यादव कोतवाली पहुंच गए. एसपी और सीओ को आता देखकर इंस्‍पेक्‍टर रामसेवक थाने की सात फीट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गए. 


करीब 10 लाख रुपये कैश मिला 
इसके बाद एसपी मानुष पारीक और सीओ गौरव यादव ने इंस्‍पेक्‍टर के कमरे की तलाशी ली. कमरे में बेड के नीचे नोटों की गड्डी मिली. इतना ही नहीं इंस्‍पेक्‍टर का सूटकेस खोला तो लाखों का कैश देखकर वह दंग रह गए. एसपी मानुष पारीक के मुताबिक, इंस्‍पेक्‍टर रामसेवक के कमरे से करीब 9 लाख 96 हजार रुपये कैश बरामद कर लिया गया. एसएसपी अनुराग आर्य के आदेश पर इंस्‍पेक्‍टर रामसेवक के खिलाफ भ्रष्‍टाचार अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है. साथ ही एसएसपी ने इंस्‍पेक्‍टर को तत्‍काल प्रभाव से सस्‍पेंड कर दिया.  


सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव साधा निशाना 
बरेली पुलिस के इस कारनामे को लेकर सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव हमलावर हो गए. उन्‍होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर लिखा, अभी तो बस थाने की दीवार कूदी है, यदि भ्रष्टाचार का ओलंपिक होता तो भाजपा राज में ऐसी विशिष्ट योग्यता रखने वाले कुछ कृपा प्राप्त पुलिस वाले ‘हाई जंप’ में प्लेटिनम मैडल ले आते. 


शासन-प्रशासन दोनों की नाकामी 
अब सवाल ये है कि उच्च पुलिस अधिकारियों ने छापा क्यों मारा, जबकि उन्होंने ही उस इंस्पेक्टर की पोस्टिंग की होगी, क्या उस इंस्पेक्टर की भ्रष्ट कार्यप्रणाली के बारे में कोई रिपोर्ट पहले से उपलब्ध नहीं थी? यदि उत्तर ‘हाँ’ है तो फिर उसको पोस्टिंग कैसे मिली और अगर उत्तर ‘नहीं’ है तो फिर वो पुलिस क्या ख़ुफ़िया रिपोर्ट निकालेगी, जिसे अपनों के बारे में ही पता नहीं है. ऐसे में ये शासन-प्रशासन दोनों की नाकामी है.  


जनता कह रही है : कहीं इसके पीछे मूल कारण ये तो नहीं कि बेईमानी का तरबूज़ा तो कटा पर नीचे-से-ऊपर तक ईमानदारी से नहीं बँटा. भाजपा राज में क्या उप्र की जनता नशे के तस्करों से ‘9 लाख’ लेने वाले ऐसे भ्रष्ट नौ रत्नों के भरोसे रहेगी? 




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