बीजेपी सांसद ने साधा कांग्रेस पर निशाना, पूछा- चेचक के वक्त क्यों नहीं किया नेहरू से टीका लगवाने का सवाल?
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बीजेपी सांसद ने साधा कांग्रेस पर निशाना, पूछा- चेचक के वक्त क्यों नहीं किया नेहरू से टीका लगवाने का सवाल?

राज्यसभा सांसद ने कहा कि देश में अराजकता पैदा करना, जनता में भ्रम पैदा करना, ये कांग्रेस शुरू से करती आ रही है. अब जब पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी शख़्सियत का परिचय पूरी दुनिया में दिया है. 

राज्यसभा सांसद और RSS विचारक राकेश सिन्हा

रजनीश त्रिपाठी/दिल्ली: पूरे कोरोना काल में कांग्रेस की भूमिका नकारात्मक रही है. अब जब वैक्सीन आ गई तो भी इसमें कांग्रेस को राजनीति नजर आ रही है. टीके को लेकर वह बीजेपी या पीएम मोदी पर निशाना साध रही है. कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि पीएम ने खुद वैक्सीन क्यों नहीं लगवाई. ऐसे लोग जरा बताएं कि जब चेचक का टीका आया था तब क्या भारतीय जनसंघ या सोशलिस्ट पार्टी ने नेहरू से टीका लगवाने की मांग की थी? लेकिन कांग्रेस अब कर रही है. कांग्रेस यह निशाना बीजेपी के राज्यसभा सांसद-आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा ने साधा. 

राज्यसभा सांसद ने कहा कि देश में अराजकता पैदा करना, जनता में भ्रम पैदा करना, ये कांग्रेस शुरू से करती आ रही है. अब जब पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी शख़्सियत का परिचय पूरी दुनिया में दिया है. आज दुनिया भारत की दोनों वैक्सीन की ओर नजर लगाए हुए है. देश की जनता स्वागत कर रही है, अस्तित्व के ख़तरे के बीच आशा की किरण जगी है. ऐसे समय में कांग्रेस पार्टी राजनीति कर रही है. 

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नेहरू के वक्त जनसंघ ने कभी सवाल नहीं उठाए
आरएसएस विचारक सिन्हा ने कहा कि, मैं कांग्रेस के नेताओं से पूछना चाहता हूं कि पहले भी कालरा-चेकक के टीके आए, तब भारतीय जनसंघ या सोशलिस्ट पार्टी ने नहीं कहा कि ये टीका जवाहर लाल नेहरू का है. इसलिए हम नहीं लगवाएंगे या पहले नेहरू को टीका लगना चाहिए. कांग्रेस घटिया और मानसिक रूप से दीवालियापन की राजनीति का परिचय दे रही है. 

कांग्रेस कर रही घटिया राजनीति
जिस प्रकार का शोध भारतीय वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने किया. जोखिम उठाकर वैक्सीन बनाया. पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों या चिकित्सकों पीठ थपथपाकर मनोबल बढ़ाया. इन सब मुद्दों पर सवाल उठाकर विपक्ष की घटिया राजनीति है. इसे जनता स्वीकार नहीं करेगी. विपक्ष भारत को और प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. सत्ता से बाहर रहने पर विपक्ष अपना आपा खो देती है. 

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विदेशी वैक्सीन के जरिए देश को नुकसान पहुंचाने की साजिश
राज्यसभा सांसद ने कहा कि, मुझे इसके पीछे विपक्ष की रणनीति नजर आ रही है. हो सकता है कि बाहर के देशों के वैक्सीन कंपनियों के दबाव में और प्रभाव में आकर कांग्रेस के लोग वैक्सीन को बदनाम करने साजिश रच रहे हैं. दुनिया में जो वैक्सीन लॉबी काम कर रही है उसमें पश्चिम देशों की लॉबी मज़बूत है, जो वैक्सीन सफल होगी उसकी पूरी दुनिया में खरीद बढ़ेगी, उस देश का रेवेन्यू बढ़ेगा. शायद इसीलिए विपक्ष देश वैक्सीन पर विश्वास नहीं कर रहा है. 

तब कैसे थे हालात?
आजादी वक्त भारत चेचक, पोलिया, मलेरिया इत्‍यादि से जूझ रहा था. देश की करीब आधी आबादी ऐसे इलाकों में रहती थी जहां मलेरिया का खतरा बहुत ज्‍यादा था. नेहरू सरकार ने इन्‍हें और इनके जैसी कई घातक बीमारियों को खत्‍म करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए. 1953 में मलेरिया के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया। एक दशक के भीतर इन्‍फेक्‍शन के मामले इतने कम हो गए कि केंद्र ने लोकल अथॉरिटीज को यह काम सौंप दिया. 1951 में चेचक की वजह से 1,48,000 लोगों की मौत हुई. 10 साल बाद यह आंकड़ा 12,300 मौतों तक लाया गया. हर पंचवर्षीय योजना में इन महामारियों से लड़ने को संसाधन मुहैया कराए गए.

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