37 साल पुराने चंदौली हत्याकांड मामले में पूर्वांचल के माफिया बृजेश सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत
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37 साल पुराने चंदौली हत्याकांड मामले में पूर्वांचल के माफिया बृजेश सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत

UP News: पूर्वांचल के चर्चित माफिया डॉन बृजेश सिंह को इलाबाद उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है. चंदौली हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को कायम रखा है.

37 साल पुराने चंदौली हत्याकांड मामले में पूर्वांचल के माफिया बृजेश सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज : बहुचर्चित सिकरौरा नरसंहार मामले में पूर्वांचल के माफिया बृजेश सिंह को बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट से माफिया बृजेश सिंह को मिली बड़ी राहत मिली है. सिकरौरा नरसंहार मामले में बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील खारिज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुकदमा वादनी हीरावती देवी की अपील ख़ारिज कर दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बृजेश सिंह के मामले में निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखा है.

37 साल पहले 1986 में चंदौली के सिकरौरा में सात लोगों की हत्या हुई थी. मामले में आरोपी बनाए गए माफिया बृजेश सिंह को ट्रायल कोर्ट ने 2018 में बरी कर दिया था. ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए वाद्नी हीरावती ने उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी. ट्रायल कोर्ट के बाद अब हाईकोर्ट से भी हीरावती को बड़ा झटका लगा है. 

यह हत्याकांड 10 अप्रैल, 1986 की रात सिकरौरा में हुआ था, तब यह इलाका वाराणसी में आता था. वारदात में सिकरौरा के प्रधान रामचंद्र यादव के साथ ही उनके भाई रामजन्म और सियाराम और चार छोटे बच्चों की बेरहमी से मर्डर कर दिया गया था. वारदात की वजह जमीन संबंधी विवाद और ग्राम प्रधानी के चुनाव से जुड़ी रंजिश बताई गई थी. हीरावती की तहरीर पर बृजेश सहित 13 को आरोपी बनाया गया था. शुरुआत में यह मामला बृजेश के बालिग और नाबालिग होने को लेकर अटका रहा था.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी 
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया. इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद उच्च न्यायालय ने 9 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. पीड़ित परिवार की महिला हीरावती और उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. ट्रायल कोर्ट ने साल 2018 में दिए गए फैसले में माफिया बृजेश सिंह समेत सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित किया.

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