Uttarakhand: मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र अब हिन्दी मीडियम में एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकेंगे. इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने पूरी तैयारियां पूरी कर ली है. जानें कैसे होगी हिन्दी मीडियम वालों का यह सपना पूरा...
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Uttarakhand: उत्तराखंड में अब एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में भी कराई जाएगी. प्रदेश में पहली बार अंग्रजी के साथ- साथ हिंदी में भी एमबीबीएस की पढ़ाई की तैयारी पूरी कर ली गई है. इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग पूरी तरह से तैयार है. कई राज्य एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में कराने की तैयारी कर रहे हैं. राज्य में अगले सीजन से एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में होने वाली है. इसके लिए पूरी तैयारी की जा चुकी है. इस दौरान कई शब्दों को ज्यों का त्यों लिखा जाएगा, इनका हिंदी में अनुवाद नहीं होगा. जैसे- एक्सरे , लिवर, हार्ट, पेंक्रियाज,सर्जरी, अल्ट्रा साउंड.
हिंदी में होगी एमबीबीएस की पढ़ाई
12वीं के बाद छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई करते हैं, जो पूरी तरह अंग्रेजी में होती है. अब उत्तराखंड से हिंदी में इस पढ़ाई की शुरुआत हो रही है. उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स के बाद ऑप्शन होगा कि वह हिंदी में पढ़ना चाहते हैं या फिर अंग्रेजी में, उनके चयन के बाद आगे की पढ़ाई उसी के मुताबिक होगी.
मध्य प्रदेश में होती है हिंदी में पढ़ाई
अभी तक मध्य प्रदेश में ही एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में होती है. पिछले साल ही मध्य प्रदेश सरकार ने तीन किताबें हिंदी में पेश की थीं, जिसमें शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान और जैव रसायन शामिल थे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश को मेडिकल की पढ़ाई में लागू करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है.
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क्या बोले धन सिंह रावत?
उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर धन सिंह रावत ने बताया कि एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में कराने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी में हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हेमचंद और राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के रेडियोथैरेपी विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर दौलत सिंह को शामिल किया गया था. इस कमेटी ने सात पेज की रिपोर्ट पेश की थी. कमेटी ने हिंदी पाठ्यक्रम की डिटेल में स्टडी की थी.
धन सिंह रावत का कहना है कि हिंदी में कोर्स होने की वजह से लोग आसानी से समझ पाएंगे. वह मरीजों की बीमारी को आसानी से समझ पाएंगे. उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा निदेशक प्राचार्य डॉ आशुतोष सायना का कहना है कि आम और जटिल शब्दों को अंग्रेजी में रखा जाएगा.
वहीं इस फैसले को लेकर दून मेडिकल कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर शिव कुमार का कहना है कि जो स्टूडेंट्स हिंदी मीडियम से आते हैं उन्हें पढ़ाई में दिक्कत होती थी, लेकिन अब इस फैसले के बाद वह आसानी से पढ़ सकेंगे.
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