Uttarakhand UCC Guidelines: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया है. यूसीसी विधेयक के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह विधेयक पेश किया.  कानून बनने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा. 


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चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था. प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी. यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एकसमान विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे. कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य होगा.


लिव इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता में  लिव इन रिलेशनशिप को भी सख्त नियम हैं. यानी प्रदेश में यह कानून लागू होने के बाद लिव इन में रहना आसान नहीं होगा. लिव इन में रने वाले कपल को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर 6 महीने की सजा या 25 हजार रुपये जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं. जो कपल एक महीने से अधिक समय से लिव-इन रिलेशनशिप में हैं और उन्होंने अपना स्टेटमेंट दिया है, उनके लिए तीन महीने तक की कैद या 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान किया गया है. 


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हलाला को लेकर सख्त सजा का प्रावधान
तलाक के लिए भी पुरुष और महिलाओं को बराबर अधिकार दिए गए हैं. महिला बिना शर्त दूसरी शादी कर सकती हैं. इसके अलावा हलाला को लेकर कड़ी सजा का प्रावधान है. हलाला जैसे मामले में तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है. 


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बहुविवाह पर लगेगी रोक
समान नागरिक संहिता में बहु विवाह पर भी रोक का प्रावधान है यानी पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है.अभी कुछ कानून में बहु विवाह करने की छूट है. चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है. इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म बदल लेते हैं. यूसीसी लागू होने के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा. 


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