काशी विश्वनाथ में शिवरात्रि पर दर्शन की नई व्यवस्था, ज्यादा भक्त कर सकेंगे जलाभिषेक
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काशी विश्वनाथ में शिवरात्रि पर दर्शन की नई व्यवस्था, ज्यादा भक्त कर सकेंगे जलाभिषेक

काशी विश्वनाथ मंदिर में इस बार महाशिवरात्रि पर दर्शन की नई व्यवस्था बनाई गई है इससे कुछ भक्त दुखी हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर भक्त खुश होंगे क्योंकि अब ज्यादा संख्या में  भक्त भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सकेंगे.

फाइल फोटो

नवीन पांडे/ वाराणसी: शिवरात्रि पर भोले भंडारी के भक्तगण इस बार ज्यादा संख्या में बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे. शिवरात्रि पर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे महत्वपूर्ण बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लगने वाली भारी भीड़ के मद्देनजर इस बार प्रशासन ने स्पर्श दर्शन की व्यवस्था को खत्म कर दिया है. हालांकि कुछ भक्त इस नई व्यवस्था से दुखी हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर भक्तों के लिए खुशी की बात ये है कि शिवरात्रि पर स्पर्श दर्शन खत्म करने से अब पहले से ज्यादा भक्त भोलेनाथ के दर्शन कर सकेंगे. यही नहीं शिवरात्रि पर इस बार उत्तर प्रदेश सरकार तीन दिन तक चलने वाले 'शिव महोत्सव' का भी आयोजन करेगी जिससे शिवरात्रि पर आस्था का सैलाब उमड़ना तय है.
आस्था और परिश्रम से मिलता है दर्शन    
शिवरात्रि वैसे तो हर महीने आती है लेकिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. इस खास दिन महादेव भगवान शिव और भगवती गौरी दाम्पत्य सूत्र में बंधे थे. शिव के त्रिशूल पर टिकी काशी के लिए ये महा पर्व का अवसर होता है. शिव और शक्ति के इस महामिलन के पर्व पर काशी नगरी में दर्शनाकांक्षी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो जाती है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे महत्वपूर्ण बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ रात से ही कतार में खड़ी हो जाती है. बाबा के दर्शन के लिए भक्त पहले गंगा स्नान करते हैं फिर गंगा जल, फूल-माला और शिव के प्रिय भांग और धतूरा लेकर दर्शन के लिए मंदिर की ओर चल पड़ते हैं. भक्तों के उत्साह का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि रात 12 बजे ही बाबा के दर्शन के लिए लगभग एक किलोमीटर लंबी लाइन लग जाती है. जो लोग इस कतार में जगह बनाने में सफल हो जाते हैं वो भी दोपहर 12 बजे तक ही दर्शन पा पाते हैं. इस सबके बावजूद शिवरात्रि पर बाबा के दर्शन की खुशी इतनी होती है कि भक्तों के चेहरे पर थकान नाम की चीज नहीं दिखती. इस पावन पर्व को लेकर ये मान्यता है कि जिसे महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन मिल जाते हैं. जो पूरी श्रद्धा से दर्शन कर एक लोटा जल चढ़ाने में सफल हो जाता है उस पर भोले भंडारी प्रसन्न हो जाते हैं. भोले के ऐसे भक्तों के सारे पाप धुल जाते हैं. 

मंगला आरती से शुरू हो जाएगा दर्शन
शिवरात्रि को लेकर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में हर तरह की तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं. भोले के पहले दर्शन की व्यवस्था सुबह-सुबह मंगला आरती के वक्त की गई है. उसके बाद भक्त दिन भर भोले के दर्शन पा सकेंगे. हालांकि प्रशासन ने जो नई व्यवस्था की है उसके तहत श्रद्धालुओं को बाबा का स्पर्श दर्शन नहीं मिलेगा लेकिन जलाभिषेक हर कोई कर सकेगा. नई व्यवस्था की वजह से इस बार पहले के मुकाबले ज्यादा भक्त जलाभिषेक कर सकेंगे. भारी भीड़ आने की उम्मीद को देखते हूए श्रद्धालुओं की सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने की भी हर तरह की तैयारी की गई है. शहर में हर तरफ बांस बल्ली लगाई जा रही है. 

तीन दिन का शिव महोत्सव
उत्तर प्रदेश सरकार 20 फरवरी से 22 फरवरी तक 'शिव महोत्सव' का भी आयोजन करेगी. तीन दिवसीय महोत्सव में शस्त्रीय संगीत के कार्यक्रम होंगे. कलाकारों के कई दल शिव कथाओं में वर्णित भगवान शंकर के शिव तांडव की प्रस्तुति भी देंगे. ये सभी कार्यक्रम रात में भी चलेंगे. इस दौरान श्रद्धालुओं को शिव महिमा के बारे में भी बताया जाएगा और शिव कथाओं का भी आयोजन होगा.

धूमधाम से निकलेगी शिव बारात
वाराणसी में महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवभक्त बहुत ही धूमधाम से शिव बारात निकालते हैं. रात को यह मैदागिन क्षेत्र से शिव बारात निकाली जाती है जो गोदौलिया तक जाती है. काशी की आम जनता बहुत ही उत्साह से शिव बारात में शामिल होती है. गाजे बाजे के साथ निकलने वाली बारात में भक्त गण भूत, बैताल और देवरूप रख कर बाराती बनते हैं.

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