Noida Authority Sale Agreement Rules: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर शहर में बिल्डरों की मनमानी को देखते हुए नोएडा अथॉरिटी ने बड़ा कदम उठाया है. उसने घर खरीदारों के हितों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है.
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Noida Authority News: नोएडा में घर खरीदारों से बिल्डरों की मनमानी को लेकर नोएडा अथॉरिटी ने अब सख्त कदम उठाया है. उसने जिले में किसी भी बिल्डर के प्रोजेक्ट में फ्लैट की खरीद के लिए त्रिपक्षीय समझौता अनिवार्य कर दिया है. नोएडा अथॉरिटी ने शनिवार को हुई बैठक में इसका फैसला किया है. इस समझौते में घर खरीदार, रियल एस्टेट कंपनी और अथॉरिटी शामिल होगी. इससे अथॉरिटी को पता होगा कि पहले भुगतान यानी डाउन पेमेंट के समय किसने वो घर खरीदा है. अभी अथॉरिटी को ये जानकारी कंप्लीशन के समय आखिरी भुगतान या रजिस्ट्री के वक्त ही पता चल पाता है.
नोएडा अथॉरिटी चेयरमैन लोकेश एम की अगुवाई में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया. इससे रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता आएगी. कालाबाजारी रुकेगी और मकानों की संदिग्ध बिक्री और लेनदेन पर लगाम लगेगी. इससे घर खरीदारों के हितों की रक्षा होगी. साथ ही सही लेनदेन होने से स्टांप ड्यूटी के तौर पर राजस्व भी बढ़ेगा. प्रोजेक्ट पूरा होने की बिल्डर ने जो अवधि दी है, उस पर भी सही तरीके से निगरानी हो सकेगी.
बिल्डर्स और बॉयर्स के बीच सेल एग्रीमेंट रजिस्ट्री से पहले सबसे अहम दस्तावेज होता है, जिसके तहत बिक्री के सारे नियम कायदे और कंप्लीशन डेट तक सारी बातें होती हैं. रेरा के सेक्शन 13 के तहत इसे और मजबूत बनाया गया है. इसमें यह कहा गया है कि बिल्डर किसी अपार्टमेंट, फ्लैट या विला आदि को लेकर सेल एग्रीमेंट के पहले 10 फीसदी से ज्यादा एडवांस पेमेंट नहीं ले सकता. कोई एप्लीकेशन फीस भी नहीं ले सकता. लिहाजा अब एक त्रिपक्षीय समझौता किया गया है, जिसके तहत बिल्डर, बॉयर्स यानी खरीदार और नोएडा अथॉरिटी के बीच ट्राईपार्टी एग्रीमेंट होगा. प्रापर्टी अमाउंट का 10 फीसदी देने के बाद बिल्डर, खरीदार और नोएडा अथॉरिटी के बीच रजिस्ट्री विभाग में यह समझौता होगा. इस एग्रीमेंट के तहत दो फीसदी स्टांप ड्यूटी देनी होगी. बाकी की धनराशि पजेशन यानी घर पर कब्जा मिलने और अंतिम रजिस्ट्री के दौरान देनी होगी.
1. नोएडा अथॉरिटी का कहना है कि त्रिपक्षीय समझौते (Noida Aithority) से प्रापर्टी खरीदने वाले के हाथ में मजबूत दस्तावेज या रिकॉर्ड होगा, क्योंकि स्टांप और रजिस्ट्री रिकॉर्ड (Flat Registry) में उसका नाम होगा.
2. इससे डेवलपर एक ही यूनिट को कई घर खरीदारों को एक साथ नहीं बेच पाएंगे.वो मनमाने तरीके से किसी भी सेल एग्रीमेंट को रद्द नहीं कर पाएंगे.
3. इससे घर खरीदार अगर कब्जा लेने से पहले उसी फ्लैट या प्रापर्टी को वापस बिल्डर को बिना स्टांप चुकाए बेचता है या टैक्स दिए बिना उसे किसी अन्य खरीदार को बेचता है तो उस पर भी लगाम लगेगी.
4. अभी बिल्डर और घऱ खरीदार 100 रुपये के स्टांप पेपर पर सेल एग्रीमेंट कर लेते हैं. नोएडा अथॉरिटी की भूमिका तभी आती है, जब डेवलपर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और कंप्लीशन सर्टिफिकेट यानी प्रोजेक्ट पूरा होने का प्रमाणपत्र हासिल कर लेता है.
5. सेल एग्रीमेंट में फ्लैट का कारपेट एरिया, पूरी कीमत, अन्य तरह के ऑफर्स, पेमेंट के तौर तरीकों और कब्जा देने की अवधि जैसी महत्वपूर्ण बातें होती हैं. लिहाजा त्रिपक्षीय समझौता होने पर बिल्डर आनाकानी नहीं कर पाएगा.