शहीद अंशुमान सिंह के मां-बाप ने झूठ बोला! सेना से मिले मुआवजे पर सामने आया बड़ा खुलासा
Captain Anshuman Singh Family Controversy: सियाचिन में सेना के टेंट में आग लगने से 19 जुलाई 2023 को शहीद हुए देवरिया के कैप्टन अंशुमान के परिवार को आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड से रुपये दिए गए हैं. यह रकम अंशुमान के पेरेंट्स और उनकी पत्नी में आधी-आधी बांटी गई. कैप्टन अंशुमन पिछले साल 19 जुलाई को आर्मी टैंट में लगी आग में फंसे सैनिकों की जान बचाते हुए शहीद हो गए थे. उन्हें इस साल कीर्ति चक्र के लिए चुना गया था.
Captain Anshuman Singh: देश के लिए कैप्टन अंशुमान सिंह ने सर्वोच्च बलिदान दिया है. कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से नवाजा गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी और मां मंजू को कीर्ति चक्र सम्मानित किया. दिवंगत सैनिकों को मिलने वाली मदद के परिजनों और पत्नी के बीच बंटवारे को लेकर नई बहस शुरू हो गई.कैप्टन अंशुमान के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बहू ने बेटे को मिले सम्मान को उन्हें छूने तक नहीं दिया था. ये आरोप भी लगाया था कि उनकी बहू बेटे की तेरहवीं के बाद ही ससुराल छोड़कर चली गईं थीं. वह उनके बेटे का सारा सामान, कीर्ति चक्र और आर्मी फंड, इंश्योरेंस क्लेम के पैसे लेकर चली गई है. दावा किया गया है कि कैप्टन अंशुमन के परिवार को आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड से करीब एक करोड़ मिला है.
कैप्टन के आर्मी फंड से किसको कितना पैसा मिला
शहीद कैप्टन अंशुमान के माता-पिता और पत्नी के बीच बढ़ रहे विवाद के बीच अब सेना ने बताया है कि कैप्टन के आर्मी फंड से माता पिता और पत्नी को कितना-कितना पैसा दिया गया है. सेना के मुताबिक फंड के एक करोड़ रुपये में से माता-पिता को 50 लाख और बाकी 50 लाख उनकी पत्नी को दिए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक शहीद की पेंशन उनकी पत्नी स्मृति को ही मिलेगी, क्योंकि अंशुमान ने उन्हें नॉमिनी बनाया था.
यूपी सरकार ने भी दिए 50 लाख रुपये
इसके अलावा यूपी सरकार ने भी अंशुमान के परिवार को 50 लाख रुपए दिए थे. इसमें से 15 लाख माता-पिता और 35 लाख रुपये पत्नी स्मृति को दिए गए थे. इसके बावजूद शहीद के पेरेंट्स ने कहा था कि वित्तीय सहायता के नियमों में बदलाव होना चाहिए. जून 2020 में यूपी सरकार ने शहीद सैनिकों के आश्रितों को लेकर फैसला लिया था. तब सरकार ने केन्द्रीय एवं प्रदेशों के अर्द्ध सैन्यबलों तथा भारतीय सेना के तीनों अंगों में शहीद होने वाले प्रदेश के सैनिक परिवार दी जाने वाली 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि को बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया था.इसमे ये था कि अगर शहीद के माता-पिता जीवित हैं तो उन्हें भी यह सहायता मिलेगी. 35 लाख शहीद की पत्नी और 15 लाख मां-बाप को दिए जाते हैं. अगर मां-बाप जीवित नहीं हैं तो उस स्थित में पूरी धनराशि पत्नी को दी जाती है.
आर्मी में PF और पेंशन के नियम
आर्मी के अधिकारियों ने बताया कि जब एक अधिकारी सेना में नियुक्त होता है, तो वह आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड (AGIF), प्रॉविडेंट फंड (PF) के लिए सबसे करीबी नॉमिनी का नाम देता है. इंश्योरेंस फंड और प्रॉविडेंट फंड के लिए एक से ज्यादा नॉमिनी दिए जा सकते हैं, लेकिन पेंशन के लिए ऐसा कोई विकल्प आर्मी की ओर से नहीं दिया जाता है.
ज्वाइनिंग के समय ज्यादातर ऑफिसस अनमैरिड होते हैं. ऐसे में पहले माता-पिता ही नॉमिनी होते हैं, लेकिन ऑफिसर्स की शादी के बाद, इसे अपडेट करने के लिए कहा जाता है. इश्योरेंस फंड और PF में पत्नी और माता-पिता के बीच रकम को आधा-आधा बांटा जा सकता है, लेकिन पेंशन के मामले में एक ही नॉमिनी बनाया जा सकता है. और इस मामले में अंशुमान ने अपनी पत्नी को ही नॉमिनी बनाया था.
सम्मान के लिए क्या है नियम
सम्मान को लेकर भी NoK का ही सिद्धांत काम करता है. अविवाहित सैनिकों को मरणोपरांत मिलने वाला सम्मान (मेडल) माता-पिता को सौंपा जाता है. विवाहित सैनिकों के मामले में सम्मान पति/पत्नी को सौंपा जाता है. हालांकि समारोह में माता-पिता को भी आमंत्रित किया जाता है.
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