Guru Purnima 2024: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के प्रति बहुत श्रद्धा रखते थे. सीएम योगी अपने समय में  ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का आदेश को वीटो पॉवर मानते थे. वे हर साल गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर की पूजा करने गोरखनाथ मंदिर जाते है. 


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कैसे शुरू हुई गुरु-शिष्य की परंपरा
एक दूसरे का गुरुत्व बढ़ाना गुरु-शिष्य की सबसे श्रेष्ठ परंपराओं में से माना जाता है. गुरु का गुरुत्व, शिष्य की श्रद्धा में होता है. यह श्रद्धा गुरु के सशरीर रहने पर तो होती ही है साथ ही उनके ब्रह्मलीन होने पर भी शिष्य की श्रद्धा जस की तस रहती है. इसी तरह एक योग्य गुरु भी लगातार अपने शिष्य का गुरुत्व बढ़ाने का प्रयास करता रहता है. इस मायने में गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ की तीन पीढियां खुद में बेमिसाल हैं. 


अपने गुरुदेव का आदेश ‘वीटो पावर’
गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं. अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के प्रति उनकी श्रद्धा कितनी गहरी थी, इसके साक्षी पीठ से जुड़े लोग हैं. कम शब्दों में कहें तो अपने समय में ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का आदेश उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ के लिए ‘वीटो पॉवर’ जैसा था. आज भी पद के अनुरूप अपनी तमाम व्यस्तताओं में से समय निकालकर वह जब भी गोरखनाथ मंदिर पहुंचते हैं तो सबसे पहले अपने स्मृतिशेष गुरुदेव का ही आशीष लेते हैं. यह सिलसिला उनके मठ में रहने तक जारी रहता है. गुरु शिष्य का यही संबंध योगी जी के गुरुदेव और उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ में भी था. 


लोगों को शिष्य बनाने की परंपरा नहीं थी लेकिन इसके बावजूद भी लाखों लोग खुद को गुरु मानते हैं. हालांकि गोरक्षपीठ की परंपरा, लोगों को शिष्य बनाने की नहीं है. पर, उत्तर भारत की प्रमुख व प्रभावी पीठ और अपने व्यापक सामाजिक सरोकारों के नाते इस पीठ के प्रति लाखों-करोड़ों लोगों की स्वाभाविक सी श्रद्धा है. गोरखपुर या यूं कह लें कि पूर्वांचल की तो यह अध्यक्षीय पीठ है. पीठ का हर निर्णय अमूमन हर किसी को स्वीकार्य होता है. खासकर पर्व और त्योहारों के मामले में.


अन्य मौकों पर दिखी ये श्रद्धा
समय-समय पर पीठ के प्रति यह श्रद्धा दिखती भी है. मकर संक्रांति से शुरू होकर करीब एक महीने तक चलने वाला खिचड़ी मेला इसका सबसे बड़ा प्रमाण है. इस दौरान नेपाल, बिहार से लगायत देश भर के लाखों श्रद्धालु गुरु गोरखनाथ को, मौसम की परवाह किए बिना अपनी श्रद्धा निवेदित करने आते हैं. कुछ मन्नत पूरी होने पर आते हैं तो कुछ नई मन्नत मांगने आते है. गुरु पूर्णिमा के दिन जो भी पीठाधीश्वर रहता है, उसके प्रति श्रद्धा निवेदित करने बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से आते हैं.


शिक्षक दिवस पर गुरु शिष्य परंपरा की मिसाल 
इसी तरह हर सितंबर में साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह के दौरान अपने गुरुओं को पीठ याद करती है. उनके कृतित्व, व्यक्तित्व, सामाजिक सरोकारों, देश के ज्वलंत मुद्दों पर अलग-अलग दिन संत और विद्वत समाज के लोग चर्चा करते हैं. यह एक तरीके से गुरुजनों को याद करने के साथ उनके संकल्पों को पूरा करने की भी प्रतिबद्धता होती है.


कौन थे महंत अवैद्यनाथ
महंत अवैद्यनाथ का जन्म नाम कृपाल सिंह बिष्ट था उनका जन्म 28 मई 1921 को हुआ था और उनकी मृत्यु 12 सितम्बर 2014 को हुई थी.  भारत के राजनेता तथा गोरखनाथ मन्दिर के भूतपूर्व पीठाधीश्वर थे. वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिये हिंदू महासभा से सर्वप्रथम निर्वाचित हुए थे. इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिये भी निर्वाचित हुए. 


महंत अवैद्यनाथ ने गोरखपुर के वर्तमान सांसद योगी आदित्यनाथ को गोरक्षपीठ का न सिर्फ उत्तराधिकारी बनाया बल्कि उन्होंने योगी आदित्यनाथ को 1998 में सबसे कम उम्र का सांसद बनने का गौरव भी प्रदान किया था. बाद में योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया जो हिन्दू युवाओं को धार्मिक बनाने के लिए प्रेरणा देती है. 


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