आशीष द्विवेदी/हरदोई: आमतौर पर रावण के पुतले का दहन दशहरे के मौके पर किया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में रावण दहन होली के पहले किया जाता है. सोमवार को यहां रावण के पुतले का दहन किया गया. हरदोई में लंबे समय से होली के पहले रामलीला का मंचन और रावण के पुतले का दहन किया जाता है. यहां पर ऐतिहासिक नुमाइश मेले का आयोजन भी होता है. 


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अंग्रेज ने शुरू की थी परंपरा
सोमवार को नुमाइश मेले में रावण के पुतले का दहन देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. रामलीला मेला कमेटी के लोगों ने बताया कि यहां पर एक अंग्रेज ने 109 साल पहले फूलों की प्रदर्शनी लगाई थी. तब से हर साल नुमाइश मेले का आयोजन होता है, जिसमें रामलीला का भी मंचन होता है और रावण के पुतले का दहन किया जाता है. जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं. इस वर्ष 45 फुट का रावण जलाया गया है. जानकारी के मुताबिक, इस साल रावण पलिया के मशहूर ताजिया निर्माता इंसाफ़ अली ने बनाया है, जो गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शाता है. बता दें कि रावण के साथ कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले को नहीं दहन किया जाता है. यहां रावण दहन के बाद आतिशबाजी भी होती है. जो लोगों के आकर्षण का केंद्र होता है. 


होली तक चलता है मेला 
हरदोई के इस नुमाइश मेले को कौमी एकता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है. मेले में हिंदू-मुस्लिम समेत सभी धर्मों के लोग आते हैं और खरीदारी करते हैं. इस मेले को सांस्कृतिक कार्यक्रमों की दृष्टि से भी काफी अहम माना जाता है. यहां पर दंगल, कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन भी होता है. ऐतिहासिक मेले में सैकड़ों की संख्या में दुकानें लगाई जाती हैं. यह नुमाइश मेला जनवरी के आखिरी में शुरू होता और होली तक चलता है. 


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