Nainital News: उत्तराखंड के नैनीताल की दुनिया में पहचान बनाने वाली नैनी झील की गहराई पहले से कम हो गई है. Geological Survey of India के ताजा Survey के अनुसार पिछले 37 सालों में झील की गहराई 8 मीचर कम होने की खबर सामने आई है. इस खबर की सच्चाई का पता लगाने के लिए अब Indian Naval Ship की टीम ने सात दिवसीय बैथिमेट्रिक Survey शुरू हो गया है. Survey का नेतृत्व भारतीय नौसेना के कैप्टन त्रिभुवन सिंह कर रहे हैं. कैप्टन त्रिभुवन सिंह के साथ टीम में लेफ्टिनेंट कमांडर दीपक बिष्ट और पांच नाविक शामिल हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

25 मीटर से गहराई घटी
सर्वे के अनुसार झील की गहराई पहले 25 मीटर थी. जो कि अब घट कर 17.25 मीटर पर आ गई है. गहराई कम होने के पीछे प्रमुख कारण अवैध निर्माण, सीवरेज और अपशिष्ट निपटान है. गहराई कम होने के बारे में नैनीताल के जिला मजिस्ट्रेट दीपक रावत ने बताया, "सिंचाई विभाग की रिपोर्ट से इसकी गहराई में 7.75 मीटर की कमी का संकेत मिलता है. नौकुचियाताल और भीमताल जैसी अन्य झीलों की माप की प्रक्रिया अभी भी जारी है और एक बार यह पूरी हो जाने के बाद हम समाधान की तलाश करेंगे."


क्या होता है बैथिमेट्रिक सर्वे
बैथिमेट्रिक सर्वे में झील की गहराई और पानी के नीचे की प्राकृतिक निर्मित विशेषता के साथ झील के अंदर किस तरफ कैसा ढलान है. इनके बारे में डाटा इकट्ठा करना होता है. इस सर्वे से भविष्य में झील के रखरखाव में भी मदद मिलेगी. कैप्टन त्रिभुवन सिंह के अनुसार झील की गहराई मापने और नीचे के नमूनों का इकट्ठा करने के लिए अत्याधुनिक इको साउंडर्स और झील के किनारे प्रमुख विशेषताओं की स्थिति तय करने के लिए जीपीएस सेट किया गया है. इसकी मदद से झील का एक बैथिमेट्रिक चार्ट तैयार किया जाएगा. 


पहले भी गिर चुका है जलस्तर
आपको बता दें कि नैनी झील की गहराई कम होने से पहले भी इसका जलस्तर कम होने की खबर आ रही थी. पिछले साल झील का जलस्तर 10 मीटर तक कम हो गया था. इसके पीछे का कारण सर्दियों में हुई कम बारिश को बताया जा रहा है. हालांकि इस साल हुई बारिश से झील की स्थिति सामान्य होती दिखाई दे रही है.  


यह भी पढ़ें - शिक्षकों को मिल सकेगा मनपसंद स्कूल, धामी सरकार ने ट्रांसफर पॉलिसी में किया ये बदलाव


यह भी पढ़ें - यूपी के बाद देवभूमि में भी बना पौधरोपण समारोह, सीएम धामी ने लगाया एक पेड़ मां के नाम