Dehradun: उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले की रहने वाली अध्यापिका मंजू शाह के कार्यों की चर्चा राज्य भर में हो रही है. मंजू शाह ने व्यर्थ समझे जाने वाले पिरूल यानि चीड़ के पेड़ की पत्तियों से अनेक उपयोगी उत्पाद बना कर अपने जिले के साथ साथ राज्य का नाम भी रोशन किया है. उनके द्वारा बनाये गए चीड़ से निर्मित  बास्केट, कलमदान, हैट, जवाहरकट, पूजा थाल, फूलदान, आसन, डोरमैट, टी कोस्टर, डाइनिंग मैट, ईयररिंग, फूलदान, मोबाइल चार्जिंग पॉकेट, पर्स, हैट, पेंडेंट, अंगूठी, सहित तमाम तरीके के साज-सज्जा के उत्पाद लोगों को बेहद पसंद आ रहे हैं. साथ ही इससे पहाड़ के लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है. उनके कामों से प्रदेश भर में सराहा जा रहा है और चीड़ को आय का साधन समझा जाने लगा है.


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अभिशाप बना वरदान 
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादातर पाए जाने वाले पिरूल को व्यर्थ माना जाता है. किन्तु मंजू ने गांव की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर इस अभिशाप को वरदान में बदल दिया. मंजू पेशे से राजकीय बालिका इंटर कॉलेज ताड़ीखेत में लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है. विज्ञान और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता से आज वह पूरे देश में पिरूलवुमन के नाम से मशहूर हो चुकी हैं. लोग देश विदेश में ऑनलाइन उनके प्रोडक्ट आर्डर कर रहे हैं. 


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महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर 
मंजू शाह के अथक प्रयासों से जहां गांव की कई अन्य महिलाएं और बेटियां अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं, वहीं उन्होंने न केवल उत्तराखंड बल्कि हिमाचल से लेकर झारखंड तक की महिलाओं को प्रोत्साहित किया है. पिरूललेडी के नाम से मशहूर मंजू को उनकी इस अनोखी पहल के लिए हिमाचल सरकार द्वारा शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार के लिए प्रशस्ति पत्र भी दिया गया है. मंजू शाह को साल 2019 में इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल द्वारा कोलकाता में बेस्ट अपकमिंग आर्टिस्ट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनके प्रयासों की सराहना की है. मंजू शाह ग्रामीण स्कूलों में पहुंचकर छात्राओं को ट्रेनिंग देकर अपनी इस मुहीम में शामिल कर रही हैं और मेक इन इंडिया अभियान को मजबूत कर रही हैं.