आकांक्षा को संयुक्त टॉपर घोषित करने के लिए NEET को पत्र लिखेंगे सीएम योगी
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आकांक्षा को संयुक्त टॉपर घोषित करने के लिए NEET को पत्र लिखेंगे सीएम योगी

NEET-2020 की परीक्षा में ओडिशा के शोएब आफताब और यूपी की आकांक्षा सिंह ने फुल मार्क्स यानि 720 नंबर स्कोर किए, लेकिन नियम के अनुसार शोएब को पहली रैंक और आकांक्षा को दूसरी रैंक मिली.

 

नीट टॉपर आकांक्षा सिंह को सीएम योगी ने किया सम्मानित. (साभार- उप्र आधिकारिक चैनल)

लखनऊ: NEET 2020 (नेशनल एलीजीबिलिटी इंट्रेंस एक्जामिनेशन) में 100 प्रतिशत अंक पाने वाली कुशीनगर की आकांक्षा सिंह को बुधवार सुबह 9:00 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित किया. साथ ही, सरकार ने उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का भी वादा किया. इतना ही नहीं योगी सरकार ने आकांक्षा को संयुक्त टॉपर घोषित करने के लिए नीट को पत्र लिखने की भी बात कही. बता दें कि इस साल नीट की परीक्षा में दो छात्रों ने 100 % अंक हासिल किए. ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाले उड़ीसा के शोएब आलम से उम्र में कम होने के कारण( टाई ब्रेकर नीति) आकांक्षा को दूसरा स्थान मिला. 

लखनऊ में सीएम आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चों खास कर प्रदेश की सभी बालिकाओं के लिए आकांक्षा रोल मॉडल हैं. इनकी सफलता उन परिवारों को भी सन्देश देती है, जो बालक-बालिकाओं में अंतर करते हैं.

मुख्यमंत्री ने आकांक्षा के घर तक जाने वाली सड़क को ठीक कराने के भी निर्देश दिए. इस दौरान योगी ने आकांक्षा सिंह के माता-पिता को शॉल व भाई अमृतांश को टैबलेट भी प्रदान किया. 

न्यूरोसर्जन बनना चाहती हैं आकांक्षा
आकांक्षा का सपना है कि वह न्यूरोसर्जन बन कर पूर्वांचल के पिछड़े क्षेत्रों में अपनी सेवा दे सकें. उनका मानना है कि हमें अपने सपने हमेशा बड़े रखने चाहिए ताकी मन लगा कर पढ़ाई करने पर हम अपना लक्ष्य पा सकें. आकांक्षा ने पढ़ाई को कभी टाइम टेबल से नहीं बांधा. आकांक्षा कहती हैं कि पढ़ाई को निर्धारित समय पर नहीं करना चाहिए क्योंकि पढ़ाई कोई प्रेशर नहीं है. 

2 साल से मोबाइल तक नहीं रखा 
आकांक्षा ने इतने लगन से पढ़ाई की कि 2 साल से अपने पास न फोन रखा और न ही सोशल मीडिया पर एक्टिव रहीं. दोस्तों या मौज-मस्ती से दूर आकाक्षा ने पढ़ाई की अपनी ही एक दुनिया बना ली थी, जिस वजह से आज वह NEET में 100 पर्सेंट मार्क्स लाकर घरवालों का और पूरे प्रदेश का नाम रोशन कर पाई हैं.

त्योहारों में घर से भी रहीं दूर
सारी होली-दीपावली भूल कर, घर का मोह भूल कर आकांक्षा ने दिल्ली में पढ़ाई की. आकांक्षा की इस तपस्या ने एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिसपर पूरे देश को नाज है.

बचपन में बनना चाहती थीं IAS, लेकिन ऐसे बदला लक्ष्य
आकांक्षा का कहना है कि 8वीं क्लास तक वह IAS अफसर बनना चाहती थीं, लेकिन देस्तों की सलाह और एम्स की बुकलेट ने उनकी लक्ष्य बदल दिया. इसके बाद उन्होंने डॉक्टर बनने की ठान ली. 

9वीं क्लास से ही शुरू कर दी तैयारी
आकांक्षा के पिता एयरफोर्य से रिटायर राजेंद्र कुमार ने 9वीं कक्षा से ही उनका आकाश  इंस्टीट्यूट में एडमिशन करा दिया. आकाश से ही पहले वह गोरखपुर में पढ़ीं और फिर दिल्ली में. आकांक्षा ने बताया कि नीट की सारी पढ़ाई का बेसिस NCERT ही है. तो अगर मन लगा कर पढ़ाई की जाए तो लक्ष्य तक पहुंचना इतना भी मुश्किल नहीं है. आकांक्षा MBBS की डिग्री के बाद न्यूरोसर्जन की डिग्री लेना चाहती हैं.

माता-पिता के त्याग को भी मानती हैं 
पढ़ाई के दौरान फोन न रखने की वजह से माता-पिता से भी कम ही बात कर पाती थीं आकांक्षा. इस बात का मलाल बहुत था, लेकिन अपनी दिशा से भटकना अफोर्ड नहीं कर सकती थीं. फिलहाल आकांक्षा को अब संतोष है कि घरवालों की उम्मीद पर खरी उतर कर NEET टॉपर बन पूरे देश में घरवालों का नाम रोशन कर दिया है.

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