अयोध्या की एक राजकुमारी की कहानी: जिसने थाम रखी है भारत-कोरिया के रिश्ते की डोर
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अयोध्या की एक राजकुमारी की कहानी: जिसने थाम रखी है भारत-कोरिया के रिश्ते की डोर

 जिस नाव से राजकुमारी कोरिया पहुंची थीं, वह नाव कोरिया ने 2000 साल बाद भी संभाल कर रखी है. साथ ही, उन्होंने वह पत्थर भी रखें हैं, जिसे राजकुमारी ने नाव का संतुलन बनाने के लिए इस्तेमाल किया था.

अयोध्या की एक राजकुमारी की कहानी: जिसने थाम रखी है भारत-कोरिया के रिश्ते की डोर

अयोध्या: दक्षिण कोरिया और भारत की दोस्ती 2000 साल पहले से शुरू होती है. यह बात हम जानते हैं कि श्रीराम को राजा दशरथ ने 14 साल के लिए वनवास पर भेज दिया था. वनवास पूरा होते ही, राम वापस अयोध्या आ गए थे. लेकिन उसी नगरी की एक राजकुमारी थीं सुरीरत्ना, जो 2000 साल पहले दक्षिण कोरिया गईं और वहीं बस गईं थीं. कोरिया में उन्होंने उस समय के राजा किम सोरो से शादी की. इसके बाद भारत-कोरिया के दोस्ती और मजबूत हो गई. इतनी मजबूत कि कोरिया ने अयोध्या में सरयू नदी के तट पर 'रानी हो' का स्मारक बनवाया और हर साल फरवरी-मार्च के बीच कोरियन लोग अयोध्या आकर 'रानी हो' को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. 

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धर्म का प्रचार करने पानी से होकर पहुंची थीं कोरिया
पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार राजकुमारी सुरीरत्ना धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए अयोध्या से पानी के रास्ते कोरिया गई थीं. वहां उनकी मुलाकात तत्कालीन राजा किम सोरो से हुई और दोनों को प्रेम हो गया. इसके बाद उन्होंने 16 साल की उम्र में राजा से शादी कर ली थी.

अभी भी संभाल कर रखी है वह नाव
कोरिया के पौराणिक इतिहास में यह बात दर्ज है. जिस नाव से राजकुमारी कोरिया पहुंची थीं, वह नाव कोरिया ने 2000 साल बाद भी संभाल कर रखी है. साथ ही, उन्होंने वह पत्थर भी रखें हैं, जिसे राजकुमारी ने नाव का संतुलन बनाने के लिए इस्तेमाल किया था.

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राजकुमारी के पिता को भगवान ने दिए थे ये निर्देश
चीन के कुछ पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार राजकुमारी सुरीरत्ना के पिता के सपने में स्वयं भगवान आए थे. सपने में उन्होंने पिता से कहा कि वह अपने बेटे और राजकुमारी को किमहये शहर भेजें, जहां राजकुमारी की शादी राजा सोरो से होगी. इसके तुरंत बाद ही राजकुमारी के पिता ने उन्हें कोरिया के लिए रवाना होने को कहा. यह दस्तावेज मैंडेरिन भाषा में लिखे हुए हैं.

सबसे ज्यादा आदरणीय हैं सुरीरत्ना
कोरिया में वैसे तो कई रानियों का जिक्र है, लेकिन रानी सुरीरत्ना को सबसे ज्यादा स्नेह मिला है. इसका एक कारण यह माना जाता है कि वह श्रीराम नगरी से जुड़ी हैं.

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याद में बनवाया पार्क
कोरिया के ही लोगों ने अयोध्या में सरयू नदी के किनारे एक पार्क बनवाया है. हर साल फरवरी-मार्च के बीच कोरियावासी अयोध्या आते हैं और राजकुमारी सुरीरत्ना की मातृभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं. समय-समय पर अयोध्या के लोग किमहये शहर की यात्रा करने भी गए हैं.

भारत के दस्तावेजों में नहीं है शादी का जिक्र
भारतीय दस्तावेजों में कहीं भी यह नहीं बताया गया है कि राजकुमारी सुरीरत्ना की शादी कोरिया के राजा से हुई थी. हालांकि, कोरिया के पौराणिक कथाओं में इस बात की पुष्टि की गई है. लोगों का यह भी मानना है कि राजकुमारी श्रीराम के वंश से ताल्लुक रखती हैं, लेकिन ऐसी कोई भी बात दोनों देशों के इतिहास में दर्ज नहीं है.

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हो रहा कोरिया पार्क का विस्तारीकरण
रामनगरी अयोध्या तट पर भारत-कोरिया के 2000 साल पुराने संबंधों के साक्षी 'कोरिया पार्क' के विस्तारीकरण का काम तेजी से चल रहा है. दरअसल, सरयु नदी तट पर कोरिया की महारानी 'रानी हो' का स्मारक बना है. उसी के सामने कोरियन शैली में निर्माण कार्य चलाया जा रहा है. प्रोजेक्ट मैनेजर अनुज शर्मा ने जानकारी दी है कि 23 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में पवेलियन किंग, पवेलियन मॉल, मेडिटेशन हॉल, एग्जिबिशन हॉल तैयार किया जा रहा है. भारत और कोरिया गणराज्य के इंजीनियर और अधिकारियों की मौजूदगी में यह काम किया जा रहा है.

दोनों देशों के कल्चर की दिखेगी झलक
यहां बनीं दीवारों पर इटालियन पत्थर लगाकर उसकी सुंदरता में चार-चांद लगा दिए हैं. यहां पर कोरियन और इंडियन पैटर्न की डिजाइन बना कर दोनों कल्चर को दिखाया जा रहा है. कोरियाई लकड़ी और काले रंग का खपड़ैल कोरिया से लाकर उससे सुंदर मण्डप बनाया गया है. इसकी लागत 3 करोड़ की बताई जा रही है.

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भारत-कोरिया के मजबूत संबंधों का गवाह है यह स्मारक
कोरियन इंजीनियर मिस्टर थो ने बताया कि अयोध्या भारत और कोरिया गणराज्य के संबंध को दर्शाते हुए यहां एक पार्क बनाया गया है. अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना नी हु ह्वांग को कोरिया की महारानी 'रानी हो' के नाम से जाना जाता है. इसलिए भारत और कोरिया के संबंध मजबूत करने के लिहाज से क्वीन हो स्मारक का विस्तारीकरण हो रहा है.

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