कवि कुमार विश्वास ने ट्विटर पर यह जानकारी शेयर करते हुए बताया कि कुंअर बेचैन आनंद विहार के Cosmos Hospital में भर्ती थे और उनका ऑक्सीजन लेवल 77 तक जा पहुंचा था, लेकिन उन्हें वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहा था.
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गाजियाबाद: मशहूर हिंदी कवि और गीतकार डा. कुंअर बेचैन भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं. कवि कुमार विश्वास ने ट्विटर पर यह जानकारी शेयर करते हुए बताया कि कुंअर बेचैन आनंद विहार के Cosmos Hospital में भर्ती थे और उनका ऑक्सीजन लेवल 77 तक जा पहुंचा था, लेकिन उन्हें वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहा था.
मदद को आगे आए डॉ. महेश शर्मा
कुमार विश्वास के इस ट्वीट के बाद गौतमबुद्ध नगर के भाजपा सांसद और पेशे से डॉक्टर महेश शर्मा ने अपने कैलाश हॉस्पिटल में डा. कुंअर बेचैन को एडमिशन दिलाया. कवि कुमार विश्वास ने ही यह जानकारी ट्विटर पर दी.
रात 12 बजे तक प्रयास करता रहा,सुबह से प्रत्येक परिचित डॉक्टर को कॉल कर चुका हूँ।हिंदी के वरिष्ठ गीतकार गुरुप्रवर डॉ कुँअर बेचैन,Cosmos Hospital,आनंद विहार दिल्ली में कोविड उपचार में हैं।ऑक्सीजन लेवल सत्तर पहुँच गया है,तुरंत वैंटीलेटर की आवश्यकता है।कहीं कोई बेड ही नहीं मिल रहा
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) April 15, 2021
बहुत आभार @dr_maheshsharma जी।उनका स्वयं कॉल आया है और वे डॉ कुँअर जी को अपने हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर शिफ़्ट करा रहे हैं।ईश्वर से प्रार्थना करें कि पूज्य गुरुप्रवर स्वस्थ हों।कृपा करके आप सब भी अपना बहुत-बहुत ख़्याल रखें। स्थिति अनुमान से ज़्यादा ख़राब है।
आप सब का भी आभार https://t.co/1FABfzRf60— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) April 15, 2021
देश भर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर इस कदर आफत बनकर टूटी है कि अस्पतालों में वेंटिलेटर्स और बेड नहीं बचा है. आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट के लिए लोगों को 24 से 36 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है. सभी राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है.
हिंदी का बड़ा नाम हैं कुंअर बेचैन
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में जन्में कुंअर बहादुर सक्सेना उर्फ डा. कुंअर बेचैन हिंदी साहित्य का बड़ा नाम हैं. वह गाजियाबाद के एमएमएच महाविद्यालय में हिन्दी डिपार्टमेंट के हेड रहे. उनकी गिनती आज के दौर के बड़े गीतकारों और शायरों में होती है. निम्नलिखित उनके कुछ मशहूर गीत, कविता और गज़ल संग्रह हैं...
गीत संग्रह
एक दीप चौमुखी
पिन बहुत सारे
भीतर सांकलः बाहर सांकल
उर्वशी हो तुम
झुलसो मत मोरपंख
नदी पसीने की
दिन दिवंगत हुए
गज़ल-संग्रह
शामियाने कांच के
महावर इंतज़ारों का
रस्सियां पानी की
पत्थर की बांसुरी
दीवारों पर दस्तक
नाव बनता हुआ काग़ज़
आग पर कंदील
कविता संग्रह
नदी तुम रुक क्यों गई
पांचाली (महाकाव्य)
शब्दः एक लालटेन
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