Manglanand Saraswati in Prayagraj: प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ मेले का आगाज हो जाएगा. इस बीच संगम नगरी में अभी से ही महाकुंभ की रौनक दिखने लगी है. साधु-संतों के अलग-अलग रंग रूप लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं. ऐसे में आवाहन अखाड़े के महंत मंगलानंद सरस्वती नागा महाराज भी पीछे नहीं हैं. उनकी जटाए 7 फीट से ज्यादा लंबी है. कहते हैं वह इन जटाओं की देखभाल करीब 30 साल से कर रहे हैं.  जब वो अपनी जटाओं को लपेटकर बांध लेते हैं तो उनकी जटा सिर पर मुकुट की तरह दिखने लगती है. जिसे देख हर कोई हैरान हो जाता है. 


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आसान नहीं जटाओं की देखभाल
आपको बता दें, हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले महंत मंगलानंद सरस्वती महाराज आवाहन अखाड़े के नागा सन्यासी हैं. वो माता भद्रकाली मंदिर के महंत हैं. महंत मंगलानंद सरस्वती महाराज की मानें तो उनकी इन जटाओं की देखभाल करना आसान नहीं है. जटाओं की लंबाई बढ़ाने के लिए अच्छी देखभाल करनी पड़ती है. 


मुल्तानी मिट्टी और भस्म का इस्तेमाल
महंत मंगलानंद सरस्वती महाराज जटाओं को साफ करने के लिए पानी के साथ मुलतानी मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं. जटाओं में आम लोगों की तरह तेल, साबुन, शैम्पू नहीं लगाते हैं. बल्कि जटाओं को मुल्तानी मिट्टी से धोने के साथ ही उसमें भस्म लगाते हैं. जटाओं की देख-रेख वह मुल्तानी मिट्टी और भस्म लगाकर ही करते हैं.


भगवान भोलेनाथ का गण 
कहा जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी. अखाड़ों में नागा संन्यासी बनाए गए थे, जिन्हें भगवान भोलेनाथ का गण कहा जाता है. जिसकी वजह से ये नागा संन्यासी भगवान भोलेनाथ की तरह ही अपनी जटाओं को बढ़ाते हैं. कहा तो यह भी जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम ने भी जटाएं रख ली थी. जटाओं को भगवान शंकर और राम का प्रतीक बताया जाता है. 


आकर्षण के साथ परेशानी भी
आवाहन अखाड़े के नागा संन्यासी महंत मंगलानंद सरस्वती पिछले पांच कुंम्भ, अर्धकुम्भ मेले में आ चुके हैं. उनका कहना है कि 30 सालों से उन्होंने जटाएं रखी हुई हैं. जब उनका अनुष्ठान पूरा हो जाएगा तो वह अपनी जटाओं को भगवान को समर्पित कर देंगे. उनकी जटाएं जहां आकर्षण का केंद्र बनती हैं, वहीं ये कई बार परेशानी का सबब भी बन जाती हैं. सबसे ज्यादा परेशानी गर्मी में होती है.  


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