Panch Atal Akhara: यूपी महाकुंभ के लिए बिलकुल तैयार है. महाकुंभ हो और अखाड़े न हो ऐसा हो नहीं सकता. यानी जहां कुंभ वहां अखाड़े. महाकुंभ की शुरुआत अखाड़ों के स्नान के साथ ही होती है. अखाड़ों की सीरीज में हम बात करते हैं पंच अटल अखाड़ा के बारे में..आइए जानते हैं अखाड़े के बारे में...
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History of Panch Atal Akhara: यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी से लगने जा रहे महाकुंभ में साधु-संतों के 13 अखाड़े भी लाखों साधुओं के साथ शामिल होने जा रहे हैं. इन अखाड़ों में शैव और वैष्णव मत के मानने वाले दोनों हैं. अखाड़ों की सीरीज में आज हम आपको पंच अटल अखाड़ा के बारे में बताने जा रहे हैं. यह अखाड़ा शैव सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है और यहाँ पर शिव जी की पूजा की जाती है.
पंच का अर्थ
यह अखाड़ा पाँच प्रमुख अखाड़ों में से एक है, जो हिंदू धर्म के शैव सम्प्रदाय से जुड़े हुए हैं. पंच अटल अखाड़े का नाम "पंच" के कारण पड़ा है, जिसका अर्थ है "पाँच".
पंच अटल अखाड़े का इतिहास
पंच अटल अखाड़ा हिंदू धर्म के एक प्रमुख अखाड़े का नाम है, जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज (पूर्व नाम इलाहाबाद) शहर में स्थित है. यह अखाड़ा शैव सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है और यहाँ पर शिव जी की पूजा की जाती है. पंच अटल अखाड़े का इतिहास बहुत पुराना है और इसकी स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी. यह अखाड़ा महर्षि अत्रि के नाम पर रखा गया है, जो एक प्रमुख वैदिक ऋषि थे.
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कब हुई स्थापना
श्री पंचायती अटल अखाड़ा, सनातन धर्म की रक्षा के लिए स्थापित अखाड़ों में से एक है. इसकी स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य के निर्देश पर विक्रम संवत 703 यानी 550 ईस्वी के आस-पास हुई थी. इस अखाड़े का मुख्यालय काशी के कतुआपुरा में है और इसका मुख्य पीठ गुजरात के पाटन में है.
अहम भूमिका निभाते हैं पंच और सचिवगण
अखाड़ों के संचालन में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पंच और सचिवगण अहम भूमिका निभाते हैं. कुंभ मेले के दौरान, अखाड़ों के पंच और सचिवगण चुनाव के ज़रिए चुने जाते हैं.अखाड़े के शीर्ष प्रशासनिक निकाय को श्री पंच कहा जाता है. यह पांच लोगों का पवित्र निकाय होता है, जो ब्रह्मा, विष्णु, शिव, शक्ति, और गणेश का प्रतिनिधित्व करता है.
धर्म की रक्षा के लिए हथियार
अखाड़ों की स्थापना का क्रम चौदहवीं शताब्दी से शुरू होता है. अखाड़े के साधु-संत, संकट के समय में राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए अस्त्र-विद्या का इस्तेमाल करते थे. शैवों और वैष्णवों के बीच संघर्ष रहा है. साल 1310 के महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े और रामानंद वैष्णवों के बीच झगड़ा खूनी संघर्ष में बदल गया था.
कौन होते हैं अखाड़े में शामिल
अखाड़े में शामिल होने के लिए, व्यक्ति को शुद्ध मन से गुरु की सेवा में लीन होना होता है. उसे समाज की बुराइयों को त्यागकर ईश्वर की भक्ति में खोना होता है.
पंच अखाड़ा, शैव संन्यासी संप्रदाय के सात अखाड़ों में से एक
श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा, गिरिनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
श्री पंच अटल अखाड़ा, चैक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती, त्रयम्बकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
नागा साधुओं का शव क्यों नहीं जलाया जाता, अनोखी है अंतिम संस्कार की परंपरा
पंच अटल अखाड़े में हर साल कुंभ मेले के दौरान एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. अखाड़े में साधु-संतों और नागा साधुओं के लिए विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिनमें आवास, भोजन और पूजा की व्यवस्था शामिल है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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