मथुरा: इस गांव में बनेगी प्रदेश की सबसे बड़ी गोशाला, एक साथ रह सकेंगे 50 हजार से ज्यादा गोवंश
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मथुरा: इस गांव में बनेगी प्रदेश की सबसे बड़ी गोशाला, एक साथ रह सकेंगे 50 हजार से ज्यादा गोवंश

ब्रज तीर्थ विकास परिषद के प्रस्ताव पर सवा सौ एकड़ क्षेत्र में गोशाला बनाने के लिए ठोस योजना तैयार करने को हरी झंडी दे दी है.

इसे राज्य की मॉडल गोशाला के रूप में विकसित किया जाएगा. (फाइल फोटो)

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा के एक गांव में सरकार ने ब्रज तीर्थ विकास परिषद के प्रस्ताव पर सवा सौ एकड़ क्षेत्र में गोशाला बनाने के लिए ठोस योजना तैयार करने को हरी झंडी दे दी है. जिला प्रशासन इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने में जुट गया है. इस गोशाला में 50 हजार से अधिक गोवंश रखने की क्षमता होगी. इसे राज्य की मॉडल गोशाला के रूप में विकसित किया जाएगा. इस गोशाला की विशेषता यह होगी कि यह गो उत्पादों के माध्यम से अपना व्यय-भार स्वयं उठाने का प्रयास करेगी.

ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी नागेंद्र प्रताप एवं जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र के साथ अन्य अधिकारियों की बैठक में गोशाला निर्माण की योजना पर विचार-विमर्श किया. जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने बताया, ‘यह गोशाला मथुरा से 20 किलोमीटर दूर स्थित मथुरा विकास खण्ड के गांव राल में स्थापित की जाएगी. वृन्दावन थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला यह गांव वृन्दावन एवं गोवर्धन कस्बे के मध्य पड़ता है.

 

उन्होंने बताया कि यह गोशाला प्रदेश में एक मॉडल के रूप में जानी जाएगी जिसमें गोवंश के गोबर एवं मूत्र सहित पंचगव्य का उपयोग इस गोशाला को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जाएगा. इस गोशाला के निर्माण पर अनुमानित 20 से 25 करोड़ रुपए की लागत आएगी. उन्होंने बताया कि मथुरा में पिछली पशुगणना के अनुसार करीब दो लाख 30 हजार गोवंश है, जिसमें से 50 हजार गोवंश लावारिस घूम रहा है. 

इनकी देखभाल के लिए जिले की 32 पंजीकृत और 80 अपंजीकृत गोशालाएं प्रयासरत हैं. इनके अलावा 18 अस्थाई गोआश्रय स्थल और भी विकसित किए जा रहे हैं. जिलाधिकारी ने कहा कि लावारिस गोवंश किसानों की फसल की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है. इसलिए एक बड़े गो आश्रय स्थल की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जो इस गोशाला से पूरी हो सकती है.

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