श्रीनगर मेडिकल कालेज में अतांक का पर्याय बने गुलदार को 3 दिन बाद मारी गोली
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श्रीनगर मेडिकल कालेज में अतांक का पर्याय बने गुलदार को 3 दिन बाद मारी गोली

राजकीय मेडिकल कॉलेज की 70-80 कमरों के एडमिनिस्ट्रेशन बिल्डिंग में रविवार को सुबह एक गुलदार घुस गया था. 

वन विभाग एक नेट व बन्दूक के सहारे पूरी भीड़ के साथ सर्च अभियान करता हुआ अन्दर गया.

कपिल पंवार, श्रीनगर: श्रीनगर गढ़वाल में राजकीय मेडिकल कॉलेज में बेजुबान गुलदार को मेडिकल कॉलेज में घुसने की सजा जान देकर चुकानी पड़ी. तीन दिन तक वन विभाग के इस गुलदार सर्च अभियान में तीसरे दिन जब वन विभाग गुलदार को ट्रैंक्विलाइज़ करके पिजड़े में कैद नहीं कर पाया तो वनकर्मियों ने बिल्डिंग के अन्दर गोली मार कर गुलदार को बहार निकाला. 

राजकीय मेडिकल कॉलेज की 70-80 कमरों के एडमिनिस्ट्रेशन बिल्डिंग में रविवार को सुबह एक गुलदार घुस गया था, रविवार का दिन होने की वजह से बिल्डिंग में एमबीबीएस के स्टूडेंटस तो नहीं थे. लेकिन उसी दिन 10 बजे कॉलेज कर्मचारियों की एक मिटिंग होनी थी. उस दिन बिल्डिंग मे कुछ कर्मचरी ही थे और जब सुबह गुलदार इस बिल्डिंग में घुसा तो उसने एक कर्मचारी को घायल कर दिया, जिसके बाद सुरक्षा गार्डों ने पूरी बिल्डिंग के पांचों गेट बन्द कर दिए.

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घटना के बाद वन विभाग व पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा और गुलदार को ढूंढने की कोशिश की. लेकिन संसाधनों के अभाव में दो कर्मचारियों को गुलदार ने फिर घायल कर दिया. इसके बाद वन विभाग ने पिंजरे लगाकर गुलदार को पकड़ने का प्लान बनाया, लेकिन गुलदार पिजड़ों में कैद नहीं हो पाया. गुलदार के बिल्डिंग में होने के कारण मेडिकल कॉलेज की सारी शैक्षणिक गतिविधियों को सोमवार व मंगलवार को बंद रखना पड़ा. 

मंगलवार को वन विभाग ने बिल्डिंग मे डोर टू डोर सर्च अभियान किया तो वन विभाग असहाय सा दिखा. हैरत की बात है कि वन विभाग एक नेट व बन्दूक के सहारे पूरी भीड़ के साथ सर्च अभियान करता हुआ अन्दर गया. इस दौरान बिना आधुनिक संसाधनों के वन विभाग लाचार दिखा और जब गुलदार दिखा तो वन विभाग द्वारा लाये गये प्राइवेट शूटरों ने सीधे एक के बाद एक गोली मार दी.

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गुलदार शूटर जॉय हुकिल ने बताया कि गुलदार हमले की स्थिति में आ गया था. इसलिए शूटर अजहर को मजबूरी में गोली मारनी पड़ी. गुलदार की मौत पर अफसोस जताते हुए उन्होंने बताया कि गुलदार के गले में पहले से फंदा पड़ा था, जिससे वह घायल व बीमार था. 

संसाधन विहीन वन विभाग द्वारा गुलदार को इस सर्च अभियान मे मारना गुलदार के एनकाउंटर करने जैसा है. क्योंकि इस अभियान में गुलदार को कोई ट्रैंक्विलाइजर मारने की जरूरत भी वन विभाग ने नहीं समझी. अप्रशिक्षत कर्मचारियों वाले वन विभाग ने किसी भी गेट पर कोई नेट नहीं लगाई थी. डीएफओ गढ़वाल लक्ष्मण सिंह रावत का कहना है कि गुलदार के गले में फंदा होने के कारण वह बुरी तरह बीमार व आक्रमक था जिस कारण उसे गोली मारनी पड़ी.

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