Food Packet पर लिखी ये चीजें पढ़कर खरीदते हैं सामान, तो न करें ऐसी गलती
नैचुरल फूड सेहत के लिए अच्छे होते हैं. लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि पैकेट पर लिखे `नैचुरल` का मतलब क्या है. दरअसल, ज्यादातर प्रोडक्ट्स की कोई गारंटी नहीं है कि ये नैचुरल हैं यो `प्रोसेस्ड`.
लखनऊ: आज-कल लोग हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के चक्कर में अपने खाने और डाइट का ज्यादा ख्याल रखने लगे हैं. अब मार्केट से लोग फैट-फ्री, कॉलेस्ट्रोल-फ्री या शुगर-फ्री प्रोडक्ट ही खरीदना चाहते हैं और इसलिए अब डिमांड के हिसाब से इन चीजों की सप्लाई भी बढ़ गई है. लेकिन क्या आपको यह लगता है कि पैकेट पर लिखी चीजें वाकई वैसी ही होती हैं जैसा दिखाया जाता है? अगर ऐसा सोचते हैं तो पढ़ लीजिए यह खबर...
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फैट-फ्री प्रोडक्ट:
यह बात साफ है कि फैट हमारे शरीर का दुश्मन नहीं है. कई स्टडी में इसे साबित भी किया जा चुका है. बावजूद इसके, लोग बिना सोचे-समझे लो-फैट या फैट-फ्री फूड खरीदने की होड़ लगा रहे हैं. लेकिन जान लीजिए कि फैट की मात्रा कम करने के लिए ज्यादातर कंपनियां जो ऑप्शन तलाशती हैं, वह भी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. फैट की जगह क्वांटिटी बैलेंस करने के लिए वे शुगर या नमक की मात्रा बढ़ा देती हैं.
कॉलेस्ट्रोल-फ्री प्रोडक्ट:
मार्केट में कॉलेस्ट्रोल-फ्री प्रोडक्ट असल में एक ट्रिक हो सकती है. दरअसल, सिर्फ एनिमल प्रोडक्ट्स में ही कॉलेस्ट्रोल पाया जा सकता है. मीट, अंडे या डेयरी प्रोडक्ट्स में कॉलेस्ट्रोल मिल सकता है , लेकिन हरी सब्जियों या फलों में नहीं. इसलिए अगर कोई वेजिटेरियन प्रोडक्ट आपको कॉलेस्ट्रोल-फ्री बताकर बेचा जा रहा है तो समझ जाइए कि वह फर्जीवाड़ा है.
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शुगर-फ्री प्रोडक्ट:
शुगर-फ्री प्रोडक्ट का नुकसान यह होता है कि असल में उनमें रेगुलर शुगर की बजाए सॉर्बिटॉल, मैनिटॉल, जाइलीटॉल जैसे शुगर अल्कोहल मिलाए जाते हैं. ये सभी चीजें पेट की परेशानी या डायरिया की दिक्कतें बढ़ा सकती हैं.
सोडियम प्रोडक्ट:
जिन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या है और खाने में नमक का सेवन कम करते हैं, तो फूड पैकेट के लेबल पर कुछ चीजों का ध्यान रखें. इन प्रोडक्ट्स में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG), सी-सॉल्ट, सोडियम सीट्रेट, कोशर सॉल्ट, डीसोडियम आइनोसीनेट जैसे इनग्रिडिएंट्स भी नहीं होना चाहिए. यह सेहत पर खराब असर डालते हैं.
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इम्यूनिटी बूस्टर प्रोडक्ट:
एक्सपर्ट का कहना है कि इम्यूनिटी को बूस्ट करने वाला कोई प्रोडक्ट मार्केट में है ही नहीं. बॉडी अपने तरीके से किसी भी खतरनाक वायरस और संक्रमण से निपटती है. फल, सब्जी, पानी या कुछ खास चीजें आपके शरीर को हाइड्रेट या गर्म रखती हैं. इससे इम्यूनिटी दुरुस्त हो सकती है, लेकिन किसी भी एडिशनल या मार्केट प्रोडक्ट का इम्यूनिटी से कोई कनेक्शन नहीं है.
नैचुरल फूड:
नैचुरल फूड सेहत के लिए अच्छे होते हैं. लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि पैकेट पर लिखे 'नैचुरल' का मतलब क्या है. दरअसल, ज्यादातर प्रोडक्ट्स की कोई गारंटी नहीं है कि ये नैचुरल हैं यो 'प्रोसेस्ड'. अक्सर लोगों को लगता है कि नैचुरल का मतलब है- 'नो पेस्टीसाइड्स', 'नो केमिकल्स', 'नो एंटीबायोटिक्स', लेकिन हो सकता है ऐसा न हो. इसलिए फूड खरीदने से पहले उसके बारे में जान लें.
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डिटॉक्स प्रोडक्ट:
यह जानना बेहद जरूरी है कि हमारी बॉडी खुद ही नैचुरली डिटॉक्सीफाई होती है. किडनी और लिवर बॉडी डिटॉक्सीफाई करने में मदद करते हैं. इन्हें स्वस्थ रखने के लिए हम अंडा, मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां और खट्टे फल खा सकते हैं. साथ ही सही मात्रा में पानी भी पी सकते हैं. लेकिन बाजार में बॉडी डिटॉक्सीफाई और क्लीनिंग के नाम पर बिकने वाले प्रोडक्ट्स धोखा हो सकते हैं, उन्हें खरीदने से बचें.
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