पूर्वांचल की इस सीट पर मोदी लहर में भी नहीं खिला 'कमल', क्‍या बीजेपी इस बार भेद पाएगी सपा का मजबूत किला?
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पूर्वांचल की इस सीट पर मोदी लहर में भी नहीं खिला 'कमल', क्‍या बीजेपी इस बार भेद पाएगी सपा का मजबूत किला?

Azamgarh Lok Sabha Election 2024: आजमगढ़ लोकसभा सीट को सपा का गढ़ माना जाता है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब साल 2014 में मोदी लहर थी तब यहां से खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़े और जीते. इसके बाद साल 2019 में भी मोदी लहर में अखिलेश यादव यहां से चुनाव मैदान में उतरे और उन्‍हें आजमगढ़ की जनता ने जिताकर संसद भेजा.

Azamgarh Lok Sabha Election 2024

Azamgarh Lok Sabha Election 2024: तमसा नदी के किनारे बसा आजमगढ़ शहर राजनीति के लिहाज से खास है. पूर्वांचल के इस हॉट सीट पर सपा का दबदबा कायम रहा है. मोदी लहर में भी भाजपा ने यहां 'कमल' नहीं खिला पाया था. हालांकि, बाद में अखिलेश यादव के विधानसभा में चले जाने के बाद यह सीट भाजपा के खाते में चली गई. उपचुनाव में यहां से भाजपा प्रत्‍याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को जीत मिली. तो आइये जातने हैं यादव-मुस्लिम बहुल्‍य वाली इस सीट का चुनावी समीकरण. 

आजमगढ़ लोकसभा सीट का समीकरण 
आजमगढ़ लोकसभा सीट को सपा का गढ़ माना जाता है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब साल 2014 में मोदी लहर थी तब यहां से खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़े और जीते. इसके बाद साल 2019 में भी मोदी लहर में अखिलेश यादव यहां से चुनाव मैदान में उतरे और उन्‍हें आजमगढ़ की जनता ने जिताकर संसद भेजा. हालांकि, विधानसभा चुनाव के चलते इस सीट पर उपचुनाव हुए. इसके बाद ही भाजपा सपा के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो पाई. 

सपा का पलड़ा लग रहा भारी 
जानकारी के मुताबिक, आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कुल 19 लाख मतदाता हैं. इसमें से साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाता यादव हैं. वहीं, तीन लाख से ज्‍यादा मतदाता मुसलमान हैं और लगभग इतनी ही संख्‍या दलित वोटों की है. उपचुनाव में सपा को मिली हार के पीछे बसपा प्रत्‍याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली का चुनाव मैदान में उतरना था. उस समय ये कहा गया कि अगर बसपा से गुड्डू जमाली चुनाव मैदान में न होते तो सपा उपचुनाव भी जीत ले जाती है. ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 अहम हो जाता है, क्‍योंकि बसपा के गुड्डू जमाली अब सपा का दामन थाम लिए हैं. ऐसे में एक बार फ‍िर आजमगढ़ लोकसभा सीट पर सपा का शिकंजा कसता दिख रहा है. 

भाजपा ने 'यादव' फैक्‍टर तैयार किया 
हालांकि, भाजपा ने भी सपा का यह मजबूत किला भेदने के लिए तोड़ निकाल लिया है. भाजपा ने अब यहां 'यादव' फैक्‍टर का सहारा लिया है. आजमगढ़ में मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री मोहन यादव को उतार दिया है. यादव वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा ने मजबूत रणनीति बना रही है. पिछले दिनों मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री मोहन यादव ने आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र का दौरा कर सपा को यह संदेश दे दिया था. 

पांचों विधानसभा सीटों पर सपा का कब्‍जा 
आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं. प्रदेश में भले ही योगी-मोदी की लहर रही हो लेकिन यहां की सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा जमाया है. गोपालपुर से सपा के नफीस अहमद, सगड़ी से हृदय नारायण पटेल, मुबारकपुर अखिलेश यादव, आजमगढ़ सदर से दुर्गा प्रसाद यादव और मेहनगर (एससी) सीट से पूजा सरोज विधायक हैं. 

यादव या मुस्लिम ही बनता रहा है सांसद 
यादव और मुस्लिम बहुल्य वाली आजमगढ़ सीट पर सांसद हमेशा यादव या मुस्लिम ही बनते रहे हैं. पहले लोकसभा चुनाव से 1971 तक यह सीट कांग्रेस के पास रही. उसके बाद 1980 और 1984 में कांग्रेस ने वापसी की. 1952 में कांग्रेस के अलगू राय शास्त्री, 1957 में कालिका सिंह, 1962 में राम हरख यादव, 1967 और 1971 में चंद्रजीत यादव ने चुनाव जीता. इमरजेंसी के बाद यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई और जनता पार्टी के रामनरेश यादव सांसद बने. 1978 में कांग्रेस की मोहसिना किदवई यहां से सांसद बनीं. 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के चंद्रजीत यादव जीते. 1989 में बसपा के रामकृष्ण यादव और 1991 में जनता दल के चंद्रजीत यादव सांसद चुने गए. 

निरहुआ पर लगाया था दांव 
1996 में सपा के टिकट पर रमाकांत यादव और 1998 में बसपा के अकबर अहमद डंपी सांसद बने. 1999 में सपा के रमाकांत यादव दोबारा जीते. 2004 और 2008 के उपचुनाव में डंपी फिर सांसद बने. 2009 में रमाकांत यादव ने भाजपा के टिकट पर यह सीट दोबारा हथिया ली. 2014 में मुलायम सिंह यादव और 2019 में अखिलेश ने यह सीट जीती.  अखिलेश के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में 2022 में भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सीट जीत ली.      

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