Akash Anand: आकाश क्यों छह महीने में ही जमीन पर आए, जानें मायावती के फैसले की 5 वजहें
Akash Anand: बहुजन समाज पार्टी की नई पीढ़ी के तौर पर पार्टी में अहम पदों पर काबिज किए गये आकाश आनंद की शुरुआत अच्छी नहीं रही. बस पांच महीने में ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने उनसे नेशनल कोआर्डिटनेटर पद के साथ अपना उत्तराधिकारी होने की जिम्मेदारी भी छीन ली.
Akash Anand: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने मंगलवार देर रात भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटाने के साथ ही उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय भी वापस ले लिया है. बसपा सुप्रीमो ने उन्हें पिछले साल दिसंबर में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. लोकसभा चुनाव के बीच मायावती ने अपना फैसला वापस ले लिया. उन्होंने कहा कि पूर्ण परिपक्वता आने तक आकाश आनंद को दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग रखा जाएगा. इसके पीछे कोई एक कारण नहीं है कई हैं. सूत्रों के मुताबिक इसकी वजह खुद आकाश आनंद है जो लगातार हिदायत देने के बाद भी वही कर रहे थे जिसे बसपा मुखिया ने मना किया था. आइए जानते हैं ऐसे 5 कारण.
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मंगलवार रात मायावती ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने की संबंधी पांच महीने पुरानी घोषणा को वापस लेने की जानकारी इंटरनेट मीडिया एक्स पर दी.
पहला कारण-नगीना में रावण पर सीधा हमला
मायावती ने आकाश को यूपी और उत्तराखंड से दूर रखने का निर्णय भी लिया था. इसके बाद भी आकाश आनंद लोकसभा चुनाव आने में अपनी जनसभाओं की शुरुआत नगीना से की. इस जनसभा में उन्होंने आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और नगीना के प्रत्याशी चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण पर सीधा हमला बोला था, ये बसपा को रास नहीं आया.
दूसरा कारण-सीतापुर में भड़काऊ भाषण
फिर इसके बाद आकाश ने सीतापुर में दिए अपने भड़काऊ भाषण से पार्टी नेतृत्व को नाराज कर दिया. उनके भाषण की वजह से बसपा के जिलाध्यक्ष विकास राजवंशी, लखीमपुर के प्रत्याशी अंशय कालरा, धौरहरा के प्रत्याशी श्याम किशोर अवस्थी, सीतापुर के प्रत्याशी महेंद्र सिंह यादव पर भी मुकदमा हो गया. यही आकाश आनंद पर भारी पड़ गया. 28 अप्रैल को सीतापुर की चुनावी रैली में दिए गए भाषण को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए आकाश पर एफआईआर होने के बाद तो मायावती ने आकाश को रैलियां करने से भी रोक लगा दी थी.
तीसरा कारण- मनाही के बाद भी प्रचार
बसपा सूत्रों की मानें तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने सीतापुर मामले के बाद आकाश आनंद के प्रचार पर रोक लगा दी थी. आकाश नहीं माने और वह लगातार दिल्ली में रहकर प्रचार-प्रसार कर रहे थे. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों, विदेश में बसे बहुजन समाज के लोगों के साथ संपर्क किया और बसपा का प्रचार करते रहे. आकाश ने ऐसे मुद्दों को भी हवा दी, जिससे बसपा नेतृत्व किनारा किया हुआ था.
चौथा कारण-यूपी में सक्रियता
बसपा प्रमुख ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार आकाश को पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर (राष्ट्रीय समन्वयक) की जिम्मेदारी सौंपी थी. लंदन से एमबीए किए आकाश वैसे तो नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए जाने के बाद से ही दूसरे राज्यों में सक्रिय थे. जैसे ही मायावती ने राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया तब से वह और ज्यादा एक्टिव हो गए.
पांचवा कारण-आकाश की आक्रामकता
आकाश आनंद को अचानक दोनों जिम्मेदारियों से हटाने के पीछे ऐसा माना जा रहा है कि जैसे वह पार्टी प्रत्याशियों की चुनावी जनसभाओं में आक्रामक हो जाते हैं और वह लगातार मोदी-योगी सरकार पर तीखे हमले कर रहे थे. मायावती उनके शब्दों के चयन पर नाराज थीं.
पिछले साल की गई थी घोषणा
बसपा चीफ मायावती ने पिछले वर्ष 10 दिसंबर को अपने छोटे भाई आनंद कुमार के 29 वर्षीय बेटे आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाए जाने का ऐलान किया था. उन्हें नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया गया और चुनाव प्रचार में यूपी उत्तराखंड समेत सभी राज्यों की जिम्मेदारी दी गई थी. वो बसपा की स्टार प्रचारकों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर थे.
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