Hathras Lok Sabha Chunav 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जरूरी लोकसभा सीटों में से एक हाथरस मुस्लिम-जाट वोटरों के प्रभाव वाली सीट है. यही कारण रहा कि बीजेपी-आरएलडी को यहां लगातार जीत मिलती रही है. पांच विधानसभा में से चार विधानसभा सीटों पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है.
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Hathras Lok Sabha Chunav 2024: उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने शहरों में से एक हाथरस राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. काका हाथरसी के इस जिले में 1991 के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है. बीजेपी के राजवीर सिंह दिलेर वर्तमान में इस लोकसभा सीट के सांसद हैं. आइए जानते हैं हाथरस सीट पर किस पार्टी का दबदबा रहा और साल 2019 और 14 में किसने अपनी विजयी पताका फहराई.
हाथरस लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र-प्रत्याशी
बीजेपी -अनूप बाल्मीकि
सपा-अघोषित
हाथरस लोकसभा सीट पर 2019 का परिणाम
4 सीटों पर बीजेपी का कब्जा
हाथरस (सु.) लोकसभा में 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में BJP ने जीत दर्ज की थी हाथरस (सु.) लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा में से चार विधानसभा सीटों पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है. आगामी चुनाव में हाथरस (सु.) लोकसभा में भाजपा एवं बसपा-सपा गठबंधन के बीच मुकाबला होने की संभावना है.
हाथरस लोकसभा सीट पर 2014 का परिणाम
मुस्लिम-जाट का समीकरण
हाथरस सीट पर मुस्लिम-जाट का समीकरण हावी रहता है. यही कारण है कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी इस सीट पर प्रबल दावेदार रहती है. साल 2014 में यहां पर बीजेपी के राजेश दिवाकर ने बसपा के मनोज कुमार को 3 लाख 26 हजार 386 वोटों से हराकर ये सीट हासिल की थी। बसपा दूसरे, सपा तीसरे, आरएलडी चौथे और आप 5वें नंबर पर रही थी। बीजेपी और बीएसपी के बीच मात्र 31.11 प्रतिशत वोटों का अंतर था.
हाथरस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें
हाथरस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें छर्रा, इगलास, हाथरस, सादाबाद और सिकंदरा राऊ सीटें शामिल हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां सिर्फ सादाबाद में बसपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि बाकी अन्य सीटों पर बीजेपी ने झंडा गाड़ा था.
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राजनीतिक इतिहास
बात करें हाथरस के राजनीतिक इतिहास की तो इस सीट पर 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी.
1967-1971-कांग्रेस
1977-भारतीय लोक दल
1984-कांग्रेस
1989-जनता दल
1991 के बाद से ही ये सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है.1991, 1996, 1998, 1999 और 2004-बीजेपी
1996-2004 तक बीजेपी के कृष्ण लाल दिलेर सांसद रहे.
2009 में यहां राष्ट्रीय लोकदल का उम्मीदवार जीता. हालांकि तब रालोद-बीजेपी का गठबंधन था.
2014 में तो बीजेपी के राजेश कुमार दिवाकर ने यहां से प्रचंड जीत दर्ज की.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक हाथरस मुस्लिम-जाट वोटरों के प्रभाव वाली सीट है. यही कारण रहा कि बीजेपी-आरएलडी को यहां लगातार जीत मिलती रही.पिछले चुनावी आंकड़ों के अनुसार, यहां पर करीब 17 लाख से अधिक मतदाता हैं, इनमें से करीब 9.6 लाख पुरुष वोटर और 7.8 लाख महिला Voters हैं.
काका हाथरसी को जानें
काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर, 1906 में हाथरस जिले में हुआ था. उनका असली नाम प्रभुलाल गर्ग था.पिता की मौत के बाद छोटी मोटी नौकरियां करते हुए काका हाथरसी ने व्यंग साहित्य की दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाया. एक नाटक में उन्होंने काका का किरदार निभाया था तभी से वह काका हाथरसी के नाम से मशहूर हो गए. उनके नाम पर कवियों के लिए 'काका हाथरसी पुरस्कार' और संगीत के क्षेत्र में 'काका हाथरसी संगीत सम्मान' दिया जाता है.
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