Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 1 जून को उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर मतदान होना है. महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट शामिल हैं. ये सभी 13 सीटें पूर्वांचल क्षेत्र की हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी 13 में से 9 सीटें जीती थी, जबकि दो सीटें उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने और दो सीटें बसपा को मिली थीं. 


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चुनावी समीकरण बनाने-बिगाड़ने में इन जातियों की बड़ी भूमिका
लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में जिन 13 सीटों पर मतदान होने जा रहा है उनमें यादवों से ज्यादा कुर्मी, कुशवाहा, राजभर, बिंद, चौहान, पाल, प्रजापति और निषाद समेत गैर यादव पिछड़ी जातियों की आबादी ज्यादा है. लिहाजा इन सीटों पर चुनावी समीकरण बनाने-बिगाड़ने में इन जातियों की बड़ी भूमिका रहती है. इसलिए चुनाव के सातवें चरण के मतदान में NDA और इंडिया के बीच अपनी-अपनी बढ़त के लिए गैर यादव OBC वोट हासिल करने के लिए भी जंग होगी.


सीटों को जातीय आधार पर साधने की कोशिश
 इसी समीकरण को ध्यान में रखकर पक्ष और विपक्ष ने कई सीटों पर इन जातियों के उम्मीदवार उतारे हैं. सातवें चरण की 13 में से सात सीटें ऐसी हैं, जहां पर एनडीए और इंडिया ने गैर यादव ओबीसी चेहरों को उतारकर इस चरण की सभी सीटों को साधने की कोशिश की है. इनमें तीन तो ऐसी हैं, जिनपर गैर यादव ओबीसी चेहरे आमने-सामने हैं.


इन तीन सीटों पर गैर यादव ओबीसी
इन सीटों पर कुर्मी, बिंद, कुशवाहा और राजभर जाति के उम्मीदवार हैं. जबकि 4 सीटों में से एनडीए ने दो पर कुर्मी और निषाद पर दांव लगाया है, तो इंडिया ने भी दो सीटों पर यही किया है. बीजेपी  जहां गैर यादव ओबीसी के सहारे अपने समीकरण साधने में लगी है, तो वही इंडी गठबंधन भी अपने काडर वोटबैंक यादव और मुसलमान के साथ ही गैर यादव ओबीसी के सहारे बड़ी लकीर खींचने की कोशिशों में जुटा है. 


इन तीन सीटों पर आमने-सामने गैर यादव ओबीसी
मिर्जापुर: अनुप्रिया पटेल (अपना दल-एस) और रमेश बिंद (SP)


सलेमपुर : रवींद्र कुशवाहा (बीजेपी) और रमाशंकर राजभर (SP)


महराजगंज: पंकज चौधरी (बीजेपी) और वीरेंद्र चौधरी (SP)


इस बार बीजेपी अंतिम चरण की 13 में से 10 सीट पर चुनाव लड़ रही है और तीन सीट पर सहयोगी दल हैं. अपना दल (एस) दो सीट पर, तो ओम प्रकाश राजभर की पार्टी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. वहीं, इंडिया गठबंधन की तरफ से सपा 9 सीट और कांग्रेस 4 सीट पर चुनावी किस्मत आजमा रही है. बसपा सभी 13 सीट पर चुनाव लड़ रही है.


जातीय बिसात का चुनाव
इस चरण का चुनाव पूरी तरह से जातीय बिसात पर होता नजर आ रहा है, जिसमें ओबीसी वोटों के लिए भी सियासी खींचतान है. इसके अलावा बसपा के दलित वोट बैंक को भी साधने की कवायद बीजेपी और सपा दोनों ही कर रही हैं. पूर्वांचल के जातीय समीकरण को साधने में जो सफल रहेगा, उसके लिए सियासी राह आसान हो सकती है.


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