Modi Cabinet 3.0: दलितों और पिछड़ों की सरकार, यूपी में लोकसभा चुनाव में हार के बाद PM Modi ने मंत्रिमंडल में साधा संतुलन
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Modi Cabinet 3.0: दलितों और पिछड़ों की सरकार, यूपी में लोकसभा चुनाव में हार के बाद PM Modi ने मंत्रिमंडल में साधा संतुलन

लखनऊ: इस बार के लोकसभा चुनाव में भले ही एनडीए की सीटें कम हो गई हों, पर मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में भी यूपी का दम दिखाई पड़ा है. माना जा रहा है कि इसके पीछे यह भी वजह है कि देश के बाकी राज्यों की तुलना में अब भी NDA को सबसे ज्यादा 36 सीटें यूपी से ही आई हैं. इस वजह से यूपी का महत्व बरकरार रखा गया है. 

Narendra Modi Cabinet 3.0

Modi Cabinet: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में भले ही एनडीए की सीटें कम हो गई हों, पर मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में भी उत्तर प्रदेश का दम दिखाई दिया.  वाराणसी से सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी की अहमियत जानते हैं, इसलिए उन्होंने यहां से 10 मंत्री बनाए हैं. पीएम नरेन्द्र मोदी ने यूपी की हिस्सेदारी के साथ ही जातीय और क्षेत्रीय संतुलन (regional balance) का खास ध्यान रखा है. हर वर्ग और समाज को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है. वहीं ओबीसी (OBC) और दलितों की हिस्सेदारी में कोई कमी नहीं रखी है.  मंत्रियों के चेहरे चुनते समय अनुभव और सामाजिक समीकरणों का तो खयाल रखा गया है साथ ही प्रदेश के हर हिस्से के हिसाब से भविष्य की सियासत पर भी नजर रखी गई है.  हालांकि मोदी 02 में कैबिनेट मंत्री रहे कई मंत्रियों के चुनाव हारने के कारण इस बार यूपी के हिस्से में सिर्फ दो ही कैबिनेट मंत्री बने हैं.

मोदी मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश के कुल 10 मंत्री
1. राजनाथ सिंह (कैबिनेट) 2. ⁠हरदीप पुरी (कैबिनेट) (राज्यसभा यूपी कोटे से हैं) 3. जयंत चौधरी (राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार) 4. ⁠जितिन प्रसाद (राज्य मंत्री) 5. ⁠अनुप्रिया पटेल (राज्य मंत्री) 6. ⁠पंकज चौधरी (राज्य मंत्री) 7. ⁠कमलेश पासवान (राज्य मंत्री) 8. ⁠एस पी बघेल (राज्य मंत्री) 9. ⁠बी एल वर्मा (राज्य मंत्री) 10. ⁠कीर्तिवर्धन सिंह (राज्य मंत्री)

पिछली बार 14, इस बार 10
2019 लोकसभा में यूपी से मोदी समेत कुल 15 मंत्री थे, जिसमें 4 कैबिनेट मंत्री और शेष राज्यमंत्री थे.  इस लिहाज से इस बार यूपी से सिर्फ राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और राज्यसभा सदस्य हरदीप पुरी ही कैबिनेट मंत्री बने हैं.  पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे महेन्द्र नाथ पांडेय और स्मृति ईरानी चुनाव हारी हैं. इस कारण भी इस बार कैबिनेट मंत्रियों की संख्या घटी हैं. फिर भी मोदी ने हारी हुई सीटों के अनुपात में हिस्सेदारी में उतनी कमी न करते हुए अगड़े-पिछड़ों के साथ दलितों के बीच संतुलन साधने का भरसक प्रयास किया है. यूपी से मंत्रिमंडल के सदस्यों में 12 सांसदों ने इस बार चुनाव भी लड़ा था, पर 7 मंत्री चुनाव हारे. सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, डॉ.एसपी सिंह बघेल, पंकज चौधरी, अनुप्रिया पटेल ही चुनाव जीत सकीं हैं. सभी सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह मिली जिन्होंने जीत हासिल की है.

राजनाथ और हरदीप पुरी को ही कैबिनेट मंत्री
दोनों राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा और हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri)  इस बार भी मंत्रिमंडल में जगह बना पाए हैं. हालांकि, सिर्फ राजनाथ और हरदीप पुरी को ही कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.  बाकी 8 सांसदों को राज्यमंत्री बनाया गया है.

जातीय समीकरण का ताना बाना
यूपी में कम सीटें आने के बाद भी मोदी ने सामाजिक समीकरण के ताने-बाने का पूरा ख्याल रखा है. मोदी ने इस बार 2 ठाकुर, 2दो कुर्मी, 1-1 ब्राम्हण, लोध, जाट और सिख जाति को अवसर दिया है.दलित समाज से इस बार भी दो लोगों को मंत्री पद दिया है. एसपी सिंह बघेल को दोबारा मौका दिया है, वहीं बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान को पहली बार जगह मिली है. कौशल कुमार जो पिछली बार इस समाज से मंत्री थे. लेकिन इस बार वह चुनाव हारने के कारण जगह नहीं मिली है. मोदी-03 में यूपी से सबसे ज्यादा भागीदारी ओबीसी को मिली है. प्रधानमंत्री समेत कुल 4 ओबीसी चेहरों को मंत्री बनाया गया है.  इनमें मोदी के अलावा कुर्मी समाज से अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी को मंत्री बने हैं. अनुप्रिया 2014 से लगातार मंत्रिमंडल में हैं, जबकि चौधरी को दूसरी बार लगातार मौका मिला है.  जबकि लोध समाज से बीएल वर्मा और जाट चेहरे के तौर रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी मंत्री बनाए गए हैं.ब्राम्हण चेहरे के तौर सिर्फ जितिन प्रसाद को ही मौका मिला है.

क्षेत्रीय-जातीय समीकरण साधे
मंत्रिमंडल में जातीय भागीदारी का भी ध्यान रखा गया है. पिछली बार 3  को जगह दी गई थी और इस बार सिर्फ 2 दलित चेहरों को जगह दी गई है. इनमें धनगर जाति के डॉ. एसपी सिंह बघेल को फिर से रिपीट किया गया है. पासी जाति से आने वाले कौशल किशोर की जगह कमलेश पासवान को जगह दी गई है.  कुर्मियों में फिर से अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी को दोहराया गया है.  लोध चेहरे के तौर पर बीएल वर्मा को दोबारा मंत्री बनाया गया है. हालांकि, उन्नाव से तीन बार और सात बार सांसद रह चुके साक्षी महाराज को लोध चेहरे के रूप में जगह नहीं मिली है. इस बार क्षत्रियों की नाराजगी को देखते हुए  इस बिरादरी के राजनाथ सिंह और कीर्तिवर्धन सिंह को जगह दी गई है. कीर्तिवर्धन पहली बार मंत्री बने हैं.

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