Lok Sabha Election 2024: पीलीभीत से भाजपा ने वरुण गांधी का पत्ता काट कर कभी राहुल गांधी के चहेते रहे जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद अब सबकी नजरें वरुण गांधी के अगले कदम पर लगी हुई हैं. वरुण पीलीभीत से बीजेपी के सांसद हैं और जब उनका टिकट कटा तो कांग्रेस ने फायरब्रांड बीजेपी नेता को ऑफर देकर यूपी की राजनीति को गरमा दिया है. राजनीति में चर्चा गरम है कि  गांधी परिवार में दशकों पुरानी सियासी दुश्मनी अब खत्म हो जाएगी? दरअसल रविवार को बीजेपी ने अपने 111 उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट जारी की, जिसमें पीलीभीत से मौजूदा सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया गया. इसी के साथ ही वरुण गांधी के लिए अन्य राजनीतिक दलों से ऑफर आने लगे हैं. कांग्रेस की तरफ से भी ऑफर दिया गया.


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खत्म होगी राजनीतिक दुश्मनी?
ऐसा माना जा रहा है कि अगर वरुण गांधी कांग्रेस का ऑफर स्वीकार कर पार्टी में जाते हैं  तो गांधी परिवार के बीच सालों से जारी सियासी दुश्मनी खत्म हो जाएगी. चचेरे भाई राहुल गांधी और वरुण गांधी फिर एक बार सियासी तौर पर एक साथ नजर आएंगे. दरअसल, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने वरुण गांधी को कांग्रेस ज्वॉइन करने का ऑफर दिया है. अधीर रंजन ने राहुल गांधी के चचेरे भाई वरुण गांधी की तारीफ में कसीदे भी पढ़े.सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वो आए तो हमें खुशी होगी. गौरतलब है कि अधीर रंजन चौधरी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के करीबी माने जाते हैं.


वरुण गांधी 2004 में हुए बीजेपी में शामिल
वरुण गांधी 2004 में बीजेपी में शामिल हुए और 2009 में पहली बार सांसद भी बने.साल 2013 में वरुण गांधी को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और इसी साल पार्टी ने उन्हें पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रभारी भी बनाया. ये वो वक्त था जब यूपी की सियासत और भाजपा में वरुण का नाम प्रमुख नेताओं में गिना जाता था. लेकिन पार्टी और सरकार के खिलाफ उनकी तरफ से दिए गए बयानों ने उनकी स्थिति कमजोर कर दी और पिछले 10 सालों से पार्टी ने उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई.


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वरुण गांधी का अगला कदम क्या होगा ?
बीजेपी में रहते पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी के बाद लगातार ये सवाल उठे कि क्या वरुण गांधी का बीजेपी से मोह भंग होने लगा है. अब कांग्रेस ज्वॉइन करने का खुला ऑफर उनको मिला है. क्या वरुण गांधी कांग्रेस का हाथ थामेंगे? अगर वरुण गांधी कांग्रेस में आते हैं तो उत्तर प्रदेश में पार्टी की फायरब्रांड नेता की तलाश खत्म हो सकती है. जानकारों का मानना है कि इससे उत्तर प्रदेश में पार्टी की स्थिति थोड़ी मजबूत भी हो सकती है. देखना ये होगा कि वरुण गांधी का अगला कदम क्या होगा. क्या वह अपने चचेरे भाई राहुल गांधी के साथ जाएंगे या फिर बीजेपी का साथ नहीं छोड़ेंगे, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. 


परंपरागत गांधी परिवार की सीट
वैसे तो यह सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है. वरुण गांधी की मां मेनका गांधी इस सीट से 6 बार सांसद चुनी गईं, तो वहीं वरुण गांधी यहां से 2 बार सांसद चुने गए, यानी कि वह पिछले 10 सालों से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 


किस बात की मिली सजा?
वरुण गांधी का टिकट पीलीभीत से काटा जाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है. इसकी एक बड़ी वजह वरुण का मुखर होना भी बताया जा रहा है. दरअसल वरुण गांधी पिछले काफी समय से अपनी ही पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करते रहे हैं.वैसे तो बीजेपी पहले ही ये कह चुकी है कि कई मौजूदा सांसदों के टिकट काटकर उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जाएगा. लेकिन फिर भी  उनका टिकट कटना अचंभे जैसा है.हालांकि बीजेपी ने उनकी मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट दिया है. 


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