Prayagraj Loksabha Election Seat: इलाहाबाद लोकसभा सीट को लेकर इतिहास की बात करें तो इस सीट ने देश को बड़ी राजनीतिक शख्सियतें दी हैं. देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर जैसे राजनीतिक दिग्गज यहां से चुनाव जीते. अभी भी बीजेपी ने अपने पूरे पत्ते नहीं खोले हैं.
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Rita Bahuguna Joshi: उत्तर प्रदेश में बीजेपी अपने कोटे की 75 लोकसभा सीटों में से 63 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है. पार्टी ने इस बार 9 मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए हैं और नए चेहरे पर दांव लगाया है. पार्टी ने एक दर्जन सीट पर अभी पत्ते नहीं खोले हैं, जिसमें बृजभूषण शरण सिंह से लेकर रीता बहुगणा जोशी जैसे दिग्गज नेताओं की सीट पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है.
क्या होगा रीता बहुगणा का?
इसी तरह रीता बहुगुणा जोशी की प्रयागराज सीट पर भी मामला फंसा हुआ है. रीता बहुगुणा जोशी ने विधानसभा चुनाव के दौरान ही लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का संकेत दे चुकी हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि उनकी जगह पार्टी किसी नए चेहरे पर दांव खेल सकती है. इसी तरह बृजभूषण सिंह को लेकर मामला फंसा हुआ है, क्योंकि उनके कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहते हुए देश की जानी मानी महिला पहलवानों ने गंभीर आरोप भी लगाए थे, जिसके चलते उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था.
कद्दावर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी हैं रीता बहुगुणा
रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी हैं. हेमवती नंदन बहुगुणा 1971 में इलाहाबाद लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. बहुगुणा परिवार की पकड़ जिले के यमुनापार क्षेत्र में बेहद मजबूत मानी जाती है. रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद की पहली महिला मेयर रहीं. रीता बहुगुणा ने 1995 से 2000 तक इलाहाबाद के मेयर का पद संभाला. वह राष्ट्रीय महिला परिषद की पूर्व उपाध्यक्ष हैं, 2003 से 2007 से उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं. वह दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं और असफल रहीं. 2017 के विधानसभा चुनाव में रीता बहुगुणा जोशी ने भाजपा का दामन थाम लिया और एक बार फिर कैंट विधानसभा की विधायक चुनी गईं. इलाहाबाद लोकसभा चुनाव 2019 में रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी की टिकट पर जीत हासिल की.
कटा था महापौर का टिकट
कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता (Abhilasha Gupta Nandi) ने भी लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी की है. भारतीय जनता पार्टी ने नगर निकाय चुनाव चुनाव के लिए प्रयागराज से भाजपा महानगर अध्यक्ष गणेश केसरवानी को अपना मेयर प्रत्याशी घोषित किया. बीजेपी ने नंद गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा का प्रयागराज महापौर टिकट काट दिया था. अभिलाषा गुप्ता खुद दो बार शहर की मेयर रही हैं.
इन नेताओं पर लटकी तलवार
सूत्रों के मुताबिक यूपी में जिन नेताओं के टिकट कटने की चर्चा है उनमें कानपुर सीट से सत्यदेव पचौरी, प्रयागराज लोकसभा सीट से रीता बहुगुणा जोशी, गोंडा सीट से बृजभूषण शरण सिंह, बदायूं सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य का नाम शामिल है.
इन 12 सीट पर बीजेपी ने नहीं खोले पत्ते
बीजेपी ने यूपी की जिन एक दर्जन सीटों पर अभी पत्ते नहीं खोले है, जिसमें रायबरेली, कैसरगंज, प्रयागराज, मछलीशहर, फुलपुर, कौशांबी, बलिया, भदोही, देवरिया,गाजीपुर, मैनपुरी और फिरोजाबाद सीट है. इन सीटों में से तीन सीट पर विपक्ष काबिज है तो 9 सीटें बीजेपी के पास है. बीजेपी की नजर 2024 में क्लीन स्वीप करने पर है, जिसके चलते काफी मंथन के बात टिकट तय किए जा रहे हैं. बता दें कि यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 75 सीटें भाजपा के पास जबकि पांच सीटें सहयोगी दलों के लिए हैं. इनमें बिजनौर और बागपत सीट रालोद को दी तो मिर्जापुर और रॉबर्टसगंज सीट अपना दल (एस) के लिए छोड़ी है. वहीं, घोसी सीट पर सुभासपा चुनाव लड़ रही है. बीजेपी अपने कोटे की 75 सीटों में 63 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है जबकि एक दर्जन सीट पर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है.
क्या होगा बृजभूषण का?
बीजेपी के दिग्गज नेता बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) कैसरगंज सीट से सांसद हैं, लेकिन पार्टी ने अभी तक उनके नाम का ऐलान नहीं किया. बृजभूषण सिंह के साथ ही राजनीतिक पंडितों की निगाहें भी कैसरगंज सीट पर टिकी हुई हैं, क्योंकि बृजभूषण को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट सकती है और कैसरगंज सीट से किसी नए चेहरे पर दांव लगाएगी.
प्रयागराज लोकसभा की 4 सीट से अब तक सिर्फ 6 सांसद
प्रयागराज से सबसे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयालक्ष्मी पंडित फूलपुर सीट से Congress की टिकट से 1964 और 1967 में संसद पहुंचीं. इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पत्नी कमला बहुगुणा 1977 में फूलपुर सीट से ही कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीतीं और संसद पहुंची थीं. हालांकि, 1980 में फूलपुर व 1989 में इलाहाबाद सीट से इन्हें हार का मुंह भी देखना पड़ा. साल 1991 में जनता दल के टिकट पर इलाहाबाद सीट से सरोज दुबे सांसद चुनी गईं हालांकि, 1996 में इन्हें हार का भी सामना करना पड़ा. वर्ष 2019 में पहली बार ऐसा हुआ जब प्रयागराज की दोनों सीटों पर महिला सांसद निर्वाचित हुईं. भाजपा ने इलाहाबाद से डॉ.रीता बहुगुणा जोशी, फूलपुर में केशरी देवी पटेल को उतारा था. दोनों ही नेता संसद पहुंचने में सफल रहीं. रीता बहुगुणा इससे पहले कांग्रेस टिकट पर 1999 में चुनाव लड़ी थीं, लेकिन हार गईं थीं.
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