रायबरेली में बीजेपी का 'अमेठी' वाला दांव, राहुल के सीट बदलने के पहले ही जमीनी नेता दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2234207

रायबरेली में बीजेपी का 'अमेठी' वाला दांव, राहुल के सीट बदलने के पहले ही जमीनी नेता दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा

Raebareli Lok Sabha Seat:  राहुल गांधी इस बार अमेठी नहीं बल्कि रायबरेली सीट से मैदान में उतरेंगे. जहां उनका मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह से होगा. आखिर क्या वजह है कि बीजेपी ने रायबरेली से उन पर दांव लगाया है. 

रायबरेली में बीजेपी का 'अमेठी' वाला दांव, राहुल के सीट बदलने के पहले ही जमीनी नेता दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा

Raebareli Lok Sabha Seat: रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर बना सस्पेंस खत्म हो चुका है. शुक्रवार को कांग्रेस की ओर से लिस्ट जारी कर ऐलान किया गया कि इस बार राहुल गांधी अमेठी नहीं बल्कि रायबरेली सीट से मैदान में उतरेंगे. जहां उनका मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह से होगा. आखिर क्या वजह है कि बीजेपी ने रायबरेली से दिनेश सिंह पर दांव लगाया है. 

कौन हैं रायबरेली से बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह?
बता दें कि दिनेश प्रताप सिंह एमएलसी होने के साथ ही मौजूदा योगी सरकार में मंत्री भी हैं. एक वक्त उनकी गिनती गांधी परिवार के खास नेताओं में होती थी. लेकिन 2018 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ छिटकर बीजेपी का कमल थाम लिया. बीजेपी की कोशिश कांग्रेस के आखिरी किले में सेंध लगाने की है, ऐसे में दिनेश सिंह पर भरोसा जताते हुए बीजेपी ने दांव लगाया है. 

क्षेत्र में मजबूत पकड़ 
दिनेश सिंह की रायबरेली में स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ मानी जाती है. अनुभव के चलते गांधी परिवार को वह सलाह मशविरा देते थे. दिनेश सिंह के पांच भाई हैं, जिनमें तीन राजनीति में सक्रिय हैं. उनके भाई राकेश सिंह 2017 में हरचंदपुर विधानसभा से कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं. वहीं एक भाई जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. 

रायबरेली में अमेठी वाला दांव?
बीजेपी ने अमेठी वाला दांव रायबरेली में भी खेला है. दरअसल 2014 में बीजेपी ने अमेठी से स्मृति ईरानी को प्रत्याशी बनाया था, राहुल गांधी से उनको शिकस्त झेलनी पड़ी लेकिन पार्टी ने 2019 में प्रत्याशी बदलने की बजाय फिर उन पर दांव लगाया और स्मृति ईरानी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में कमल खिलाने में कामयाब रहीं. दूसरी ओर 2019 में रायबरेली में दिनेश सिंह ने भी मजबूती से चुनाव लड़ते हुए सोनिया गांधी को जोरदार टक्कर दी थी. वह रायबरेली में 5 साल डटे रहे हैं. 

कांग्रेस का गिरा जनाधार
रायबरेली में कांग्रेस को 2009 लोकसभा चुनाव में करीब 72 फीसदी वोट मिले थे, जो 2014 आते-आते 63.8 फीसदी पर आ गए. 2019 में बीजेपी से लड़े दिनेश प्रताप सिंह के चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस की सोनिया गांधी को 55.8  प्रतिशत ही वोट मिले थे. 

बीजेपी ने कायम रखा भरोसा
दिनेश प्रताप सिंह को भले 2019 की लड़ाई में शिकस्त झेलनी पड़ी हो लेकिन भाजपा ने उन पर भरोसा कायम रखा. पार्टी ने उनको एमएलसी बनाकर विधान परिषद भेजा, साथ ही योगी सरकार में मंत्री भी बनाया. जिसके चलते वह 5 साल रायबरेली की जनता के बीच पैंठ मजबूत करते रहे, जैसा स्मृति ईरानी ने अमेठी से चुनाव हारने के बाद किया था, वह पांच साल अमेठी के लोगों के साथ जुड़ी रहीं. अब परिणाम के बाद भी मालूम होगा कि बीजेपी का ये दांव कितना सटीक बैठा है. 

यूपी में अबकी बार क्या होगा 75 पार, फलोदी सट्टा बाजार ने बताया किसका पलड़ा भारी

अखिलेश यादव को लोकसभा चुनाव से पहले झटका! टिकट कटने से नाराज सपा प्रत्याशी बीजेपी में शामिल

 

 

Trending news