कांग्रेस नेता ने पत्र में यह भी लिखा है, "सावरकर जी ने जेल जाने के कुछ महीनों बाद ही अंग्रेजी सरकार को पत्र लिखा कि ब्रिटिश सरकार मुझे माफ कर दे तो मैं भारत के स्वतंत्रता संग्राम से खुद को अलग कर लूंगा और ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी निभाऊंगा."
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की विधान परिषद की गैलरी में लगी एक तस्वीर पर विवाद छिड़ गया है. यह तस्वीर विनायक दामोदर सावरकर की है और विवाद इस तस्वीर के स्वतंत्रता सेनानियों के बीच लगे होने पर हुआ है. दरअसल, कांग्रेस नेता दीपक सिंह ने विधान परिषद के सभापति से सावरकर की तस्वीर हटाने की मांग की है. दीपक सिंह का कहना है कि विधान परिषद की गैलरी में लगी यह फोटो स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को यह तस्वीर अपने संसदीय कार्यालय में लगानी चाहिए.
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क्यों बताया सावरकर की तस्वीर को सेनानियों का अपमान?
कांग्रेस नेता दीपक सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने लाख यातनाओं के बाद भी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी, बल्कि देश के साथ खड़े रहे. दीपक सिंह कहते हैं कि ऐसे महापुरुषों के बीच सावरकर की फोटो लगाना महान क्रांतिकारियों का अपमान है.
दीपक सिंह ने पत्र में किए कई दावे
कांग्रेस नेता ने पत्र में यह भी लिखा है, "सावरकर जी ने जेल जाने के कुछ महीनों बाद ही अंग्रेजी सरकार को पत्र लिखा कि ब्रिटिश सरकार मुझे माफ कर दे तो मैं भारत के स्वतंत्रता संग्राम से खुद को अलग कर लूंगा और ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी निभाऊंगा. वह जेल से निकल कर अंग्रेजों से मिल कर भारतवासियों के खिलाफ अभियान चलाते रहे."
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पत्र में उन्होंने यह भी बताया है कि जब जिन्ना ने दो राष्ट्र की बात की तो सावरकर ने भी अहमदाबाद के अधिवेशन में दो राष्ट्र की बात कही थी. इसके अलावा, दीपक सिंह का दावा है कि सावरकर ने नेता जी सुभाष चंध्र बोस की आजाद हिंद फौज के खिलाफ भी अंग्रेजों का साथ दिया था.
तस्वीर को मुख्य द्वार से हटाने की अपील
कांग्रेस नेता दीपक सिंह ने विधान परिषद के सभापति के सामने अपनी मांग रखी है कि सावरकर की तस्वीर को विधान भवन के मुख्य द्वार से हटाया जाना चाहिए. साथ ही, उन्होंने पत्र में लिखा है कि वह तस्वीर भारतीय जनता पार्टी के संसदीय कार्यालय में स्थापित की जाए. इससे प्रदेश के करोड़ों लोगों की भावना आहत नहीं होगी.
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