'बाल स्वराज' पोर्टल पर डाटा अपलोड होने के बाद ऐसे बच्चों की पहचान एकत्र कर अन्य पोर्टल,वाट्सएप पर सार्वजनिक किया जा रहा है.
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लखनऊ: यूपी में कोरोना काल (Corona Pandemic) के दौरान अनाथ हुए बच्चों का डाटा सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी है. इसको लेकर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है. आयोग का कहना है कि बच्चों की जानकारी सार्वजनिक होने पर अपराध बढ़ने का डर है. वहीं, बच्चों की जानकारी सार्वजनिक होना जेजे एक्ट का उल्लंघन भी है.
बच्चों का हो सकता है गलत इस्तेमाल
आयोग ने आदेश जारी करते हुए बताया कि 'बाल स्वराज' पोर्टल पर डाटा अपलोड होने के बाद ऐसे बच्चों की पहचान एकत्र कर अन्य पोर्टल, वाट्सएप पर सार्वजनिक किया जा रहा है. अनाथ हुए बच्चों की पहचान सार्वजनिक होने से उन बच्चों को उपेक्षित करने के साथ-साथ जेजे एक्ट (जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन एक्ट, 2000) का उल्लंघन किया जा रहा है.
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इसके अलावा असामाजिक लोगों, बाल तस्करी करने वाले समूहों, भिक्षावृत्ति समूहों और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के द्वारा ऐसे बच्चों का उपयोग समाज में गलत तरीके से किया जा सकता है. ऐसे में यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है.
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बच्चों की जिम्मेदारी उठाएगी सरकार
मुख्यमंत्री द्वारा चलाई जाने वाली 'मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना' का उद्देश्य परेशान बच्चों को तत्काल मदद पहुंचाना और उनको गलत हाथों में जाने से बचाना है. इस योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों के भरण, पोषण, शिक्षा, चिकित्सा व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जाएगा.
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