जेल वार्डर से जुड़ रहे मुन्ना बजरंगी हत्याकांड और चित्रकूट जेल गैंगवार के तार, जांच के दायरे में आया
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जेल वार्डर से जुड़ रहे मुन्ना बजरंगी हत्याकांड और चित्रकूट जेल गैंगवार के तार, जांच के दायरे में आया

चित्रकूट जेल गैंगवार मामले में अंशु दीक्षित को हथियार किसने मुहैया कराए इस पर सवाल है. इस सबसे बड़े मुद्दे को लेकर जेल के एक वार्डर की भूमिका संदेह के घेरे में है.

चित्रकूट जेल.

लखनऊ: चित्रकूट जेल गैंगवार मामले में अंशु दीक्षित को हथियार किसने मुहैया कराए इस पर सवाल है. इस सबसे बड़े मुद्दे को लेकर जेल के एक वार्डर की भूमिका संदेह के घेरे में है. दरअसल जेल का एक वार्डर 6 मई को कोरोना के चलते छुट्टी पर था. लेकिन जांच के दौरान पता चला कि 13 मई की शाम वह चित्रकूट जेल में देखा गया. जेल सूत्रों की मानें तो 14 मई को शूटआउट के वक्त भी वह वार्डर जेल में मौजूद था. अंशु दीक्षित को पिस्टल पहुंचाने में जांच कमेटी जेल वार्डर की भूमिका की जांच कर रही है. 

जेल के वार्डर पर शक, उसी ने तो नहीं पहुंचाए हथियार-कारतूस
अंशु के पास मोबाइल होने की जानकारी भी मिल रही है. जेल सूत्रों की मानें तो बागपत जेल में जब मुन्ना बजरंगी की हत्या हुई थी उस वक्त भी यह वार्डर वहां मौजूद था. इस घटना के बाद ही उसका ट्रांसफर चित्रकूट जेल में कर दिया गया था.  आपको बता दें​ कि 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना को अंजाम देने का आरोप पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंग्स्टर सुनील राठी पर है.

मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के बाद बनी समिति के सुझावों पर अमल नहीं
एक बात और सामने आई है कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद बनी जांच समिति की रिपोर्ट पर यदि अमल किया गया होता तो शायद चित्रकूट जेल कांड नहीं होता. तब जो जांच समिति बनी थी उसमें सेवानिवृत्त डीजीपी सुलखान सिंह, एडीजी हरि शंकर सिंह एवं अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं डाक्टर शरद शामिल थे. तीन सदस्यीय समिति ने बागपत, गाजियाबाद, नैनी, वाराणसी समेत कई जेलों का निरीक्षण किया था. ​

समिति ने करीब तीन महीने की जांच पड़ताल के बाद 100 पृष्ठ की रिपोर्ट तैयार किया गया था. जेलों में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालीन दो तरह के सुझाव दिए थे. लेकिन इस रिपोर्ट पर शासन की ओर से काई अमल नहीं किया गया.

जांच समिति द्वारा दिए गए प्रमुख सुझाव

जेल एक्ट में संशोधन: अभी तक बंदी के पास मोबाइल मिलने पर उसे कम सजा का प्रावधान है. एक्ट में बदलाव करके बंदी के पास मोबाइल मिलने पर उसकी सजा बढ़ाने का सुझाव दिया गया था.

हाई सिक्योरिटी जेल का निर्माण: कुख्यात अपराधियों के लिए हाईटेक तकनीकी से युक्त स्पेशल हाई सिक्योरिटी जेल बनाने का सुझाव समिति ने दिया था. जिससे कुख्यातों को कड़ी निगरानी के बीच रखा जा सके.

तलाशी को अभेद्य बनाना: समिति ने जेलों पर तलाशी के चक्रव्यूह को अभेद्य व पारदर्शी बनाने का सुझाव दिया था. इसमें जेल के बाहर और अंदर हाईटेक स्क्रीनिंग रूम बनाने का सुझाव दिया था, जिससे तलाशी की पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में रहे. 

पीएसी की तैनाती: अभी तक जिन जेलों में हत्या व संघर्ष की घटनाएं हुईं हैं, अधिकांश में पीएसी तैनात नहीं थी. समिति ने ऐसे जेलों में पीएसी तैनात करने का सुझाव दिया था. 

सीसीटीवी कंट्रोल रूम: जेलों को पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरों से लैस करने का सुझाव दिया गया था. इसमें जेल के मुख्य गेट से लेकर, परिसर, सर्किल और बैरकों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कहा गया था. 

क्या हुआ था चित्रकूट जेल में?
चित्रकूट जेल में 14 मई को अंशु दीक्षित ने मुकीम काला और मेराज उर्फ मेराजुद्दीन की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी. मुकीम काला पश्चिमी यूपी का कुख्यात गैंग्स्टर था, जबकि मेराज डॉन मुख्तार अंसारी का बेहद करीबी. अंशु ने मुकीम को 13 और मेराज को 5 गोलियां मारी थीं. पुलिस के साथ मुठभेड़ में 20 गोलियां लगने से गैंग्स्टर अंशु दीक्षित की मौत हुई. 

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