आज 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव की 85वीं जयंती मनाई जा रही है. समाजवादी पार्टी के संरक्षक स्व. मुलायम सिंह यादव ने अपने परिवार के हर सदस्य को सियासी पारी खेलने का मौका दिया. छोटे भाई को छोड़कर भतीजे, बहुएं, पोते सभी राजनीति में सक्रिय हैं.
मुलायम सिंह यादव ने अपना सियासी वारिस अखिलेश को बनाया. अखिलेश यादव साल 2000 में पहली बार कन्नौज से चुनाव लड़ा और जीतकर कम उम्र में ही संसद पहुंचे. इसके बाद वे लगातार सांसद रहे. 2012 में विधानसभा चुनाव जीतकर वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
मुलायम सिंह यादव की बहू व अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं. साल 2009 में पहली बार फिरोजाबाद से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो कन्नौज लोकसभा सीट से निर्विरोध चुनाव जीतकर वह सांसद बनीं.
मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिव पाल यादव भी कभी नेताजी के सियासी वारिस माने जाते थे. मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए उनकी तूती बोलती थी. भतीजे अखिलेश यादव से विवाद के चलते शिवपाल यादव ने अपनी नई पार्टी भी बनाई. हालांकि वह सपा का हिस्सा हैं.
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव, मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई हैं. रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद हैं. रामगोपाल ने अपना चुनाव इटावा में ब्लॉक प्रमुख का लड़ा. 1992 में पहली बार राज्यसभा सदस्य बने. 2004 में मुलायम सिंह ने संभल से लोकसभा चुनाव लड़ाया और दिल्ली भेजा.
धर्मेंद्र यादव, मुलायम सिंह यादव के भतीजे हैं. वह पहली बार साल 2004 में मैनपुरी से लोकसभा का उपचुनाव लड़ा और सांसद बने. धर्मेंद्र, मुलायम के बड़े भाई अभय राम यादव के पुत्र हैं.
अक्षय यादव, रामगोपाल यादव के बेटे हैं. अक्षय यादव को साल 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया और पहली बार वह सांसद बने.
तेज प्रताप यादव, मुलायम के भाई रणवीर सिंह यादव के बेटे हैं. साल 2014 में मैनपुरी से उपचुनाव में जीत कर वह सांसद बने. मुलायम सिंह यादव के सीट छोड़ने पर यहां उपचुनाव हुआ था. 2019 में मुलायम ने आजमगढ़ के बजाय मैनपुरी से चुनाव लड़ा था.
अपर्णा यादव, मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. अपर्णा ने अपना सियासी सफर सपा से 2017 के चुनाव में लखनऊ कैंट सीट से शुरू किया था, लेकिन रीता बहुगुणा जोशी के हाथों वे हार गईं. सपा का दामन छोड़कर वह बीजेपी ज्वॉइन कर लिया था.
मुलायम सिंह यादव के भतीजे अभिषेक यादव (अंशुल यादव) भी राजनीति में सक्रिय हैं. अंशुल यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई राजपाल सिंह यादव के बेटे हैं. वो दूसरी बार इटावा की जिला पंचायत के अध्यक्ष बने हैं.
मुलायम सिंह के छोटे भाई राजपाल यादव की पत्नी प्रेमलता यादव भी इटावा में जिला पंचायत अध्यूक्ष रह चुकी हैं. 2005 में प्रेमलता यादव ने राजनीति में कदम रखा. 2005 में राजनीति में आने के बाद ही प्रेमलता मुलायम परिवार की पहली महिला बन गईं, जिन्होंहने राजनीति में कदम रखा. 2016 में उनका निधन हो गया.
मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव की पत्नी सरला यादव को 2007 में जिला सहकारी बैंक इटावा की राज्य प्रतिनिधि बनाया गया था. सरला को दो बार जिला सहकारी बैंक का राज्य प्रतिनिधि बनाया गया.
मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव सक्रिय राजनीति में हैं. शिवपाल की तरह आदित्य यादव ने भी कोऑपरेटिव से अपनी सियासत शुरू की थी.
मुलायम सिंह की भतीजी संध्या यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष से सियासी सफर शुरू किया. संध्या यादव धर्मेंद्र यादव की बहन हैं.
मुलायम की चचेरी बहन और रामगोपाल यादव की सगी बहन 72 वर्षीया गीता देवी के बेटे अरविंद यादव ने 2006 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा. मैनपुरी के करहल ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख के पद पर निर्वाचित हुए थे.
शीला यादव मुलायम के कुनबे की पहली बेटी हैं जिन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. शीला यादव जिला विकास परिषद की सदस्य रही हैं.