PF घोटाला: UPPCL के पूर्व एमडी एपी मिश्रा को 2 साल बाद मिली जमानत, सरेंडर होगा पासपोर्ट
साल 2012 से 2017 तक समाजवादी पार्टी की सरकार के एपी मिश्रा यूपीपीसीएल के एमडी पद पर तैनात थे. उनके पास मध्यांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के एमडी का प्रभार भी था.
लखनऊ: पीएफ घोटाले में फंसे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी एपी मिश्रा को शनिवार को जमानत मिल गई. हालांकि, उन्हें अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा. वह बीते करीब दो साल से जेल में बंद थे. साल 2012 से 2017 तक समाजवादी पार्टी की सरकार के एपी मिश्रा यूपीपीसीएल के एमडी पद पर तैनात थे. उनके पास मध्यांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के एमडी का प्रभार भी था. एपी मिश्रा मुलायम और अखिलेश दोनों के करीबी माने जाते हैं.
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21 अप्रैल, 2014 को उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर एम्पलाइज ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में कर्मचारियों के जीपीएफ और सीपीएफ का पैसा ज्यादा ब्याज देने वाले फाइनेंशियल कॉरपोरेशन में लगाने का फैसला हुआ. उस समय यूपीपीसीएल के एमडी एपी मिश्रा थे. मार्च 2017 से लेकर दिसंबर 2018 तक ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता और वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी की मंजूरी पर दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) में कर्मचारियों के जीपीएफ और सीपीएफ का पैसा निवेश किया जाता रहा.
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इन दोनों अधिकारियों को पता था कि डीएचएफएल वाणिज्यिक बैंक की श्रेणी में नहीं आता है. 10 जुलाई 2019 को एक गुमनाम शिकायत मिलने के बाद यह घोटाला सामने आया. यूपीपीसीएल के अध्यक्ष आलोक कुमार ने 12 जुलाई को मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी. 29 अगस्त को समिति ने जांच रिपोर्ट दी तो पता लगा कि कर्मचारियों के भविष्य निधि में करीब 2268 करोड़ की गड़बड़ी की गई है.
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स्टेट पावर सेक्टर एंप्लॉयीज ट्रस्ट के सचिव ने अनियमितता करते हुए ट्रस्ट की 99 प्रतिशत से ज्यादा धनराशि का निवेश केवल तीन हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों में कर रखा था, जिसमें 65 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा डीएचएफएल में था. खास बात है कि गैर सरकारी कंपनी में निवेश करने के संबंध में तत्कालीन निदेशक वित्त व सचिव ट्रस्ट ने अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक का अनुमोदन नहीं लिया. 10 अक्टूबर को एम्पलाइज ट्रस्ट के सचिव पीके गुप्ता को सस्पेंड कर दिया गया था. एपी मिश्रा को इस घोटाले के मुख्य आरोपियों में शामिल किया गया है.
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