New Year 2025: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान श्रीगणेश के पूजा करने का विधान है. ऐसे में अगर आप भी नए साल 2025 की शुरुआत गजानन के दर्शन के साथ करना चाहते हैं तो उत्तर प्रदेश के इन पांच प्रसिद्ध मंदिरों में जाने का प्लान कर सकते हैं.
नया साल एक नई शुरुआत का प्रतीक है, और इसे आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था के साथ मनाना बहुत शुभ माना जाता है. नए साल की शुरुआत भगवान की पूजा के साथ करना बहुत शुभ हो सकता है. यह हमें आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था के साथ जोड़ता है और हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है.
भारत में किसी भी काम की शुरुआत से पहले भगवान का आशीर्वाद लिया जाता है. नया साल एक नई शुरुआत का ही प्रतीक है. ऐसे में साल की शुरुआत आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था के साथ करना बहुत शुभ माना जा सकता है. नए साल का स्वागत भगवान की पूजा के साथ किया जा सकता है.
नए साल पर नई उम्मीदें, नई ऊर्जा और नए लक्ष्य बनते हैं, जिन्हें पूरा करने की आस के साथ साल की शुरुआत की जाती है. अगर आप भी नए साल 2025 की शुरुआत गजानन के दर्शन के साथ करना चाहते हैं तो UP के इन पांच प्रसिद्ध मंदिरों में जाने का प्लान कर सकते हैं.
लखनऊ का श्री सिद्ध गणेश मंदिर बीबीडी में स्थित है. करीब 14 साल पुराने इस गणेश मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर आता है. भगवान गणेश हर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस मंदिर में एक गर्भगृह है जहां भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित है. भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने उनकी सवारी मूषक भी हैं. मंदिर में दूर-दूर से लोग गणेश जी की पूजा करने आते हैं.
कानपुर के घंटाघर में गणेश मंदिर यूपी का ऐसा इकलौता मंदिर है, जिसका स्वरूप तीन खंड के मकान जैसा है. यहां भगवान गणेश के 10 रूप एक साथ मौजूद हैं. ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान गणेश का मंदिर बनने के दौरान अंग्रेजों ने पास में मस्जिद होने के कारण रोक लगा दी थी. ऐसे में मंदिर निर्माण समिति ने तीन खंड का मकान बनवाकर अंग्रेजों को चकमा दिया. जब इस मकान का निर्माण पूरा हुआ तब ही यहां गणपति की स्थापना हो गई.
लखनऊ में ही बड़े पीपल का पेड़ वाला गणेश मंदिर है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश की आकृति एक पीपल के पेड़ में प्रकट हुई है. बड़े पीपल के पेड़ वाला मंदिर न केवल अपनी अद्वितीयता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की आस्था और भक्ति लोगों को आकर्षित करती है. यह पीपल का पेड़ करीब 250 साल पुराना है. ऐसा कहा जाता है कि इसमें अपने आप ही भगवान गणेश की आकृति बन गई है. यह भी मानना है कि पीपल के पेड़ में 33 कोटि देवताओं का निवास होता है. यह पूजनीय पेड़ है. अब भगवान गणेश ने हमें यहां दर्शन दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के रामपुर में स्थित प्राचीन गणेश मंदिर इतिहास और किदवंतियों को अपने में समेटे हुआ है. पहली बार भगवान गणेश की मूर्ति सन 1960 में भयंकर सूखा के बाद सामने आया था. गड्ढे में भगवान गणेश की मूर्ति पानी में डूबा हुआ था जो सूखा पड़ने के बाद चरवाहों ने इस मूर्ति को देखा था. तभी से इसका पूजन अर्चन किया जा रहा है. स्थानीय लोग भगवान गणेश को कोतवाल मानते हैं.आस-पास के लोगों की मदद से भगवान की अस्थायी मंदिर का निर्माण कराया गया है.
मेरठ में महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक मंदिर की तरह ही गणेश मंदिर है, जिसका नाम सिद्धिविनायक मंदिर है. इसका निर्माण एक सितंबर 2000 में हुआ था. इस मंदिर का नाम श्री सिद्धी विनायक गणपति मंदिर है, जो कल्याणी विहार में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण हर किशोर गुप्ता ने कराया था.
आप शहर से बाहर नहीं जा सकते तो आप अपने लोकल मंदिर में पूजा के लिए जा सकते हैं. आपके शहर में बहुत से मंदिर होंगे जो कोई न कोई कहानी समेटे हुए होंगे. आप परिवार के साथ जाकर भगवान का आशीर्वाद ले सकते हैं.
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