उत्तर प्रदेश की सियासत में भले ही ब्राह्मणों की ताकत सिर्फ 10 से 12 फीसदी वोट हो. लेकिन, ब्राह्मणों का प्रभाव समाज में इससे कहीं अधिक है. ब्राह्मण समाज प्रभुत्वशाली होने की वजह से राजनीतिक हवा बनाने में भी सक्षम है. इसीलिए भाजपा इसे बाखूबी समझती है.
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विशाल सिंह/लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में लंबे समय तक सत्ता की कमान ब्राह्मण समुदाय के हाथों में रही है. नारायण दत्त तिवारी के बाद यूपी में कोई भी ब्राह्मण समुदाय से मुख्यमंत्री नहीं बन सका. सूबे में पिछले 3 दशकों से राजनीतिक पार्टियों के लिए ब्राह्मण समुदाय महज एक वोटबैंक बनकर रह गया है.
23 सालों तक UP का कमान ब्राह्मणों के पास रहा
आजादी के बाद यूपी की सियासत में 1989 तक ब्राह्मण का वर्चस्व कायम रहा और 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने. गोविंद वल्लभ पंत, सुचेता कृपलानी, कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा, श्रीपति मिश्र और नारायण दत्त तिवारी बने. ये सभी कांग्रेस से थे. इनमें नारायण दत्त तिवारी तीन बार यूपी के सीएम रहे. अगर इन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल को देखें तो करीब 23 साल तक प्रदेश की सत्ता की कमान ब्राह्मण समुदाय के हाथ में रही है.
उत्तर प्रदेश की सियासत में भले ही ब्राह्मणों की ताकत सिर्फ 10 से 12 फीसदी वोट हो. लेकिन, ब्राह्मणों का प्रभाव समाज में इससे कहीं अधिक है. ब्राह्मण समाज प्रभुत्वशाली होने की वजह से राजनीतिक हवा बनाने में भी सक्षम है. इसीलिए भाजपा इसे बाखूबी समझती है.
58 ब्राह्मण विधायक दर्ज किए थे जीत
2017 यूपी विधानसभा में बीजेपी को 80 फीसदी ब्राह्मणों ने वोट किया. यूपी में कुल 58 ब्राह्मण विधायक जीते, जिनमें 46 विधायक बीजेपी से बने थे. वहीं, 2012 विधानसभा में जब सपा ने सरकार बनायी थी तब बीजेपी को 38 फीसदी ब्राह्मण वोट मिले थे. सपा के टिकट पर 21 ब्राह्मण समाज के विधायक जीतकर आए थे. 2007 विधानसभा में बीजेपी को 40 फीसदी ब्राह्मण वोट मिले थे. 2007 में बसपा ने दलित-ब्राह्मण गठजोड़ का सफल प्रयोग किया था. जिसे बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग का नाम दिया था. सपा और कांग्रेस भी इसकी अहमियत समझ रहे है इसीलिए लगातार भाजपा पर हमला कर रहे है।
इसलिए ब्राह्मण वोटरों को रिझा रही भाजपा
यूपी की सियासत में मायावती ने 2007 में ब्राह्मण महत्व दिया था, जिसके चलते प्रदेश में ब्राह्मण वोटों का महत्व बढ़ा दिया. तब से जो भी दल सत्ता में आए उसमें ब्राह्मण वोटों की अहम भूमिका रही, 2007 में जब मायावती सत्ता में आईं तो उस समय बीएसपी से 41 ब्राह्मण विधायक चुने गए.इसीलिए भाजपा भी प्रबुद्ध सम्मेलन के सहारे ब्राह्मण को रिझा रही है.
गौरतलब है कि सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) 6 सितंबर से प्रदेश के 18 महानगरों में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन (Prabuddh Varg Sammelan) की शुरुआत करने जा रही है. एक ओर वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मौजूद रहेंगे तो वहीं, प्रयागराज में यूपी प्रभारी राधामोहन सिंह शिरकत करेंगे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अयोध्या में रहेंगे. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कानपुर में और सुनील बंसल राजधानी लखनऊ में प्रबुद्ध वर्ग सम्मलेन में शामिल होंगे. इसके अलावा प्रदेश व केंद्र सरकार के मंत्री भी अलग-अलग जिलों में शामिल होंगे. बीजेपी 6 से 20 सितंबर के बीच प्रदेशभर में यह सम्मेलन आयोजित करेगी. पार्टी का लक्ष्य है कि वह सभी 403 विधानसभाओं में प्रबुद्ध वर्ग सम्मलेन आयोजित कर पार्टी के पक्ष में समर्थन जुटाए.
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