UP Politics: लोकसभा चुनाव में सफलता का स्वाद चखने के बाद कांग्रेस आरक्षण के मुद्दे को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती. अब आने वाले दिनों में आरक्षण के मुद्दे को कांग्रेस और धार देने की तैयारी में है. इसके लिए पार्टी शैक्षिक और चिकित्सा संस्थानों में नियमित भर्ती के साथ ही संविदा और आउटसोर्सिंग की भर्तियों में आरक्षण का पालन कराने के लिए आंदोलन करेगी. कांग्रेस का ये आंदोलन अगस्त से शुरू होगा. बताया जा रहा है कि जिला मुख्यालय के साथ जहां पर संबंधित संस्थान होगा उसके आसपास प्रदर्शन कर राज्यपाल और राष्ट्रपति को पत्र भेजा जाएगा. इसकी जिम्मेदारी पिछड़ा वर्ग विभाग को सौंप दी गई है.


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भर्तियों के जुटाए जा रहे सुबूत
कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि यूपी में I.N.D.I.A. को मिले समर्थन की एक बड़ी वजह आरक्षण है. इसी रणनीति के तहत कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग आरक्षण की अनदेखी से जुड़े मामले जुटा रहा है. विभाग विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में नियमित नियुक्ति, खाली पद, बैकलॉग वाले पदों से संबंधित दस्तावेज जुटा रहा है. इसी तरह संविदा और आउटसोर्सिंग भर्तियों में भी आरक्षण देने का प्रावधान है, लेकिन कई संस्थानों में इसकी अनदेखी हुई है. इन भर्तियों से संबंधित दस्तावेज पिछड़ा वर्ग विभाग भी जुटा रहा है. इन दस्तावेजों के आधार पर ज्ञापन बनाकर राष्ट्रपति और राज्यपाल को भेजा जाएगा.


सदन से सड़क तक विरोध 
पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव की मानें तो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के आरक्षण का मुद्दा सदन से लेकर सड़क तक उठा रहे हैं. प्रदेश में आरक्षण की अनदेखी से जुड़े सुबूत राहुल गांधी को भेजा जाएगा. वे इस मुद्दे को सदन में उठाएंगे. पार्टी इस मुद्दे पर हर जिले में धरना- प्रदर्शन कर ज्ञापन भेजेगी. राष्ट्रपति और राज्यपाल से मांग की जाएगी कि बीजेपी सरकार गलत तरीके से आरक्षण को खत्म करना चाहती है. आरक्षण संविधान में दिया गया अधिकार है. बीजेपी इसका हनन कर रही है, इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा.


सियासी बढ़त बनाने की रणनीति
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस संविधान के बाद आरक्षण के जरिये सियासी बढ़त बनाए रखने की कोशिश में है. इसमें आरक्षण का मुद्दा अहम है. जिस तरह से लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को हवा देने का फायदा मिला है, उसी तरह से आगामी विधानसभा चुनाव में भी यह सियासी तौर पर कारगर साबित हो सकता है. यही वजह है कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने पिछड़ा वर्ग विभाग को इस मुद्दे को हवा देते रहने के निर्देश दिए हैं.