अपना दल के गठन के लिए डॉ. सोनेलाल पटेल ने पहले कुर्मी समुदाय के बीच जनसंपर्क किया और फिर नवंबर 1994 में लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में एक रैली बुलाई. इस रैली में कुर्मी समुदाय ने अपनी ताकत का अहसास करा दिया था और रणनीतिकारों को साफ लग गया था कि यूपी में एक और जातीय क्षेत्रीय पार्टी का उदय होने वाला है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से भी कम समय शेष है. प्रदेश की सभी पार्टियों का ध्यान आपसी मतभेदों को दूर करने पर केंद्रित है. ऐसे में लखनऊ में राजनितिक सरगर्मी तेज हो गई है. अपना दल एस की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. वहीं, शुक्रवार को उनकी छोटी बहन पल्लवी पटेल अपना दल (कृष्णा पटेल गुट) सपा के मुखिया अखिलेश यादव से मिलने पहुंची. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब 45 मिनट तक अगामी विधानसभा को लेकर चर्चा हुई.
पल्लवी पटेल के करीबियों से मिली जानकारी के मुताबिक वे अपनी मां कृष्णा पटेल का संदेश लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास पहुंची थीं. जानकारी के मुताबिक, अखिलेश यादव अगामी विधानसभा चुनाव में कुछ सीटें अपना दल को दें सकते हैं.
कौन है पल्लवी पटेल?
पल्लवी पटेल अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की छोटी बेटी हैं. पल्लवी अपनी मां कृष्णा पटेल के साथ रहती हैं. वे अपना दल (कृष्णा पटेल गुट) का नेतृ्त्व कर रही है. पल्लवी हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैब में साइंटिस्ट के रूप में पांच साल तक कार्यरत रहीं. उन्होंने एंटी कैंसर ड्रग पर काम किया है. इस दौरान उन्होंने अमेरिका और यूरोप की भी शैक्षिक यात्राएं कीं. पिता की मौत के बाद उन्हें पारिवारिक व्यवसाय की देखभाल के लिए नौकरी छोड़नी पड़ी थी.
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2014 लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ गया परिवारिक मतभेद
अनुप्रिया पटेल व उनकी माता श्रीमती कृष्णा पटेल के बीच परिवारिक मतभेद के बाद पल्लवी पटेल ने अपनी अलग पार्टी बना ली. अनुप्रिया पटेल के पास अपना दल (सोनेलाल) की कमान है और माता श्रीमती कृष्णा पटेल के अपने अपने गुट की जिम्मेदारी है.
संसदीय चुनाव 2014 में बीजेपी ने अपना दल के साथ मिल कर यूपी का संसदीय चुनाव लड़ा था और पहली बार अनुप्रिया पटेल विधायक से सांसद बनी. इसके बाद से परिवार में मतभेद हुआ और दोनों लोगों की राह अलग हो गई. यूपी विधानसभा चुनाव में अपना दल व बीजेपी का गठबंधन जारी था गठबंधन के तहत अपना दल को मिली सीट पर उसके प्रत्याशी विजयी हुए. पल्लवी पटेल ने भी अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी.
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अमित शाह से की थी मुलाकात
पल्लवी पटेल की बड़ी बहन अनुप्रिया पटेल अपना दल-एस की अध्यक्ष हैं. अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ मिलकर 2014, 2017 और 2019 का चुनाव लड़ चुकी हैं. अनुप्रिया पटेल दूसरी बार मिर्जापुर से सांसद हैं. जबकि कृष्णा पटेल की पार्टी का कोई भी विधायक या सांसद नहीं है. बीते गुरुवार को अनुप्रिया पटेल गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. उनकी मुलाकात पर कहा जा रहा है कि उन्होंने यूपी चुनाव, गठबंधन और कैबिनेट विस्तार पर चर्चा की.
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अनुप्रिया पटेल की है यह मांग
अनुप्रिया पटेल पहले ही कह चुकी हैं कि उनकी पार्टी की यूपी कैबिनेट में ज्यादा हिस्सेदारी बनती है. इसलिए वो चाहती हैं यूपी कैबिनेट विस्तार जल्द से जल्द हो और उनके दो लोगों को मंत्री बनाया जाए. इसके साथ ही वह केंद्र में भी एक पद चाहती हैं. एनडीए के पहले कार्यकाल में अनुप्रिया पटेल केंद्र में राज्य मंत्री थीं. लेकिन, दूसरे कार्यकाल में उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली. इसलिए भी वह नाराज बताई जाती है. फिलहाल यूपी कैबिनेट में उनकी पार्टी से जयकिशन जैकी मंत्री हैं उनके पास जेल राज्यमंत्री की जिम्मेदारी है.
बसपा को टक्कर देने के लिए बनाया पार्टी
राजनैतिक पंडितों की माने तो डॉ. सोनेलाल एक जमाने में बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के काफी करीबी माने जाते थे. लेकिन जब बसपा पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का अधिपत्य हुआ तो सोनेलाल पटेल ने मायावती को टक्कर देने के लिए खुद की पार्टी का गठन किया, जिसका नाम अपना दल रखा. उनका उद्देश्य था कि वे जमीनी लोगों के लिए राजनीति करें. इसके लिए उन्होंने संघर्ष भी किया. पूर्वांचल में पार्टी को मजबूत करने के लिए वे प्रयासरत रहे. अपने जीवन काल में कभी चुनाव न जीतने वाले सोनेलाल पटेल की पसंदीदा सीट वाराणसी की कोलअसला थी, जो बाद में दो विधानसभा क्षेत्रों रोहनिया और पिण्डरा में बंट गई.
काफी रोचक है अपना दल की गठन की कहानी
अपना दल के गठन के लिए डॉ. सोनेलाल पटेल ने पहले कुर्मी समुदाय के बीच जनसंपर्क किया और फिर नवंबर 1994 में लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में एक रैली बुलाई. इस रैली में कुर्मी समुदाय ने अपनी ताकत का अहसास करा दिया था और रणनीतिकारों को साफ लग गया था कि यूपी में एक और जातीय क्षेत्रीय पार्टी का उदय होने वाला है.
इसके 11 महीने बाद 1995 में सरदार पटेल जयंती पर कुर्मी समाज की रथ यात्रा को खीरी में रोका गया. फिर नवंबर में बेगम हजरत महल पार्क में रैली पर रोक लगाई गई. रैली बारादरी पार्क में हुई. इसी रैली में अपना दल के गठन की घोषणा की गई. उसके बाद से सोनेलाल पटेल जब तक जिंदा रहे तब तक पार्टी फलती फूलती रही.
सड़क हादसे में हो गया था निधन
सोनेलाल पटेल का निधन एक सड़क हादसे में हो गया. इस घटना के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल के हाथों पार्टी की बागडोर मिली. उन्होंने पार्टी में संगठन को मजबूत करने का काम किया. 2012 में अपना दल से पहली बार जीता कोई परिवार का सदस्य अपना खाता खोल सका. वैसे 2007 में ही पार्टी का खाता खुल गया था, लेकिन डॉ. सोनेलाल पटेल खुद चुनाव हार गए थे.
बेटी पहली बार बनी MLA
उनकी मौत के बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल वाराणसी के रोहनिया विधानसभा की विधायक चुनी गई. उसके बाद अनुप्रिया ने भाजपा से नजदीकी बढ़ा ली. 2014 में वे मोदी लहर में मिर्जापुर की सांसद बनीं और धीरे-धीरे यहीं से पार्टी के टूटने की प्रक्रिया शुरू हो गई. देखते-देखते मां-बेटी में ऐसी दूरियां बढ़ीं कि मामला भारत निर्वाचन आयोग तक पहुंचा और आयोग को बड़ा फैसला लेना पड़ा और अपना दल मां बेटी के गुट में बंट गई.
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