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Radha Krishna: मथुरा में कहां हुआ था राधा-श्रीकृष्ण का विवाह, ब्रह्माजी के विवाह मंत्र पढ़ने के मिलते हैं सबूत

Radha krishna marriage: बरसाना- नंदगांव के बीच एक वन हैं जिसे लेकर ऐसे दावे किए जाते हैं कि इस जगह पर ब्रह्मा जी ने स्वयं राधा कृष्ण का विवाह कराया था. इस बारे में गर्ग संहिता में पूरा उल्लेख किया गया है.

दिव्य परिणय

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 दिव्य परिणय

राधा कृष्ण के विवाह पर तमाम कई भ्रांतियां, कथा, कहानियां फैली हैं. गर्ग संहिता की बात करें तो इसमें दोनों के अलौकिक विवाह का पूर्ण विवरण किया गया है. ब्रज की धरा पर आज भी इस दिव्य परिणय के साक्ष्य होने की बात कही जाती है. 

गर्ग संहिता

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गर्ग संहिता

श्रीकृष्ण के गुरू गर्गाचार्य द्वारा रचित “गर्ग संहिता” में विस्तार से बताया गया है कि राधा- कृष्ण का विवाह हुआ. कथा है कि एक बार की बात है कि नन्द बाबा कृष्ण जी को गोद में लिए गाएं चरा रहे थे तभी वो वन में आगे निकल गए.    

सुन्दर वस्त्र आभूषणों में राधाजी

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 सुन्दर वस्त्र आभूषणों में राधाजी

बादल भी एकाएक गरजने लगे, आंधी आगई और इसी समय नन्द बाबा ने देखा कि सुन्दर वस्त्र आभूषणों में राधाजी हुईं जिन्हें नन्द बाबा ने प्रणाम किया और कहा कि वे जान रहे हैं कि साक्षात् श्रीहरि हैं उनकी गोद में जिसके रहस्य के बारे में उन्हें गर्ग जी ने बता दिया था.   

भगवान कृष्ण राधाजी के साथ मण्डप में विराजमान

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 भगवान कृष्ण राधाजी के साथ मण्डप में विराजमान

भगवान कृष्ण को राधाजी को सौंप कर वन से नन्द बाबा चले गए. तब भगवान कृष्ण युवा रूप में प्रकट हुए. वहां एक विवाह मण्डप के साथ ही विवाह सामग्री सजा दी गई. भगवान कृष्ण राधाजी के साथ मण्डप में विराजमान हुए.   

चरणों की भक्ति

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चरणों की भक्ति

अब यहीं पर ब्रह्मा जी प्रकट होकर दोनों का पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया. ब्रह्मा जी ने वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ इस भव्य विवाह को संपन्न करवाया. दक्षिणा में ब्रह्मा जी ने भगवान से उनके चरणों की भक्ति मांगी और ब्रह्मलोक लौट चले.   

दैहिक संबंधों की कोई अवधारणा नहीं

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 दैहिक संबंधों की कोई अवधारणा नहीं

नवविवाहित युगल ने हंसते खेलते यमुना के तट पर समय व्यतीत किया और फिर शिशु रूप में आ गए. राधा प्रेम का प्रतीक मानी गई है और कृष्ण-राधा के बीच दैहिक संबंधों की कोई अवधारणा नहीं बताई गई है. ऐसे में इस प्रेम को अध्यात्मिक प्रेम के रूप में देखा जाता है.   

नंद गांव और बरसाना के बीचों बीच

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 नंद गांव और बरसाना के बीचों बीच

यदि राधा-कृष्ण की मिलन स्थली की बात करें तो जिस भांडीर वन में दोनों का विवाह हुआ है उसे अगर भौगोलिक रूप से देखे तो नन्द गांव से बरसाना सात किमी पर है, वह वन जहां गायें चराने श्रीकृष्ण जाते थे वह नंद गांव और बरसाना के बीचों बीच है.   

वट वृक्ष

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 वट वृक्ष

भांडीर वन में आज भी वह जगह स्थिति है जहां पर राधारानी और श्रीकृष्ण का विवाह ब्रह्माजी ने संपन्न करवाया. यहां वो स्थल भी है जहां दोनों के बीच परिणय गठबंधन हुआ था. जनश्रुतियों के अनुसार जिस वट वृक्ष के नीचे यह विवाह हुआ वह आज भी मौजूद है और विवाह का साक्ष्य है.

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डिस्क्लेमर- यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं,वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता हइसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.