पवन सेंगर/लखनऊ:  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गांवों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए बड़ी पहल की है. उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य बना है, जिसने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के सालाना बजट को करीब दोगुना कर दिया है. सीएम योगी ने मनरेगा के बजट को 85 सौ करोड़ सालाना से बढ़ाकर 15 हजार करोड़ करने के निर्देश दिए हैं. बढ़े बजट के नाते गांव-गांव में मनरेगा के तहत हर हाथ को काम मिलना तय माना जा रहा है.


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पिछले वर्ष 1 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को मिला था काम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पिछले साल देश में सबसे ज्यादा मनरेगा में 85 लाख परिवारों के एक करोड़ चार लाख 70 हजार से ज्यादा श्रमिकों को काम दिया गया था, जो प्रदेश के इतिहास में रिकार्ड है. जबकि वर्ष 2019-2020 में 53.15 लाख परिवारों को काम मिला था. इसमें राज्य के 74 जिलों में मनरेगा में काम पाने वाले 32 लाख परिवार पिछले साल बढ़े हैं. यह इजाफा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति के चलते कोरोना काल के दौरान दूसरे राज्यों से आए प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा में काम देने संबंधी आदेश से हुआ है.


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श्रम विभाग में पंजीकरण कराने वाला देश का पहला राज्य बनेगा यूपी
मनरेगा में 100 दिन काम करने वाले 20 लाख से अधिक श्रमिकों का नए साल में श्रम विभाग में पंजीकरण कराने वाला देश का पहला राज्य भी बनने वाला है. सूबे के श्रम विभाग में पंजीकृत होने वाले श्रमिकों और उनके परिवार को 17 योजनाओं का लाभ मिलेगा. इससे सूबे के 20 लाख श्रमिकों के जीवन में बदलाव आएगा.


17 योजनाओं का मिलेगा लाभ
श्रम विभाग में पंजीकृत होने के बाद हर श्रमिक परिवार को श्रमिक मेधावी छात्र पुरस्कार योजना, शिशु हित लाभ योजना, निर्माण कामगार बालिका मदद योजना, भोजन सहायता योजना, चिकित्सा सुविधा योजना, कन्या विवाह योजना और आवास सहायता योजना सहित 17 योजनाओं का लाभ मिल सकेगा. विभाग ने 100 दिन काम करने वाले 20 लाख श्रमिकों को 31 मार्च तक श्रम विभाग में पंजीकृत कराने का लक्ष्य रखा है, जिसे तय समय में पूरा कर लिया जाएगा.


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