पेशे से साइकिल मैकेनिक मोहम्मद शरीफ के जीवन का लक्ष्य किसी भी धर्म के लावारिस शव का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करना है.
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लखनऊ: अयोध्या (फैजाबाद) के खिड़की अलीबेग में रहने वाले लावारिस लाशों के वारिस मोहम्मद शरीफ को पद्मश्री अवार्ड मिलने जा रहा है. मोहम्मद शरीफ अब तक कई हजार शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. जिनमें 3000 हिन्दू और 2500 मुस्लिम लावारिश शव शामिल हैं. वैसे तो वे पेशे से साइकिल मैकेनिक हैं, मगर इनके जीवन का लक्ष्य किसी भी धर्म के लावारिस शव का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करना है.
पद्मश्री अवार्ड के लिए चुने जाने पर मोहम्मद शरीफ ने पीएम मोदी का धन्यवाद किया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी जैसा पूरी दुनिया में कोई इंसान नहीं. वह एक फरिश्ते की तरह हैं, जिन्होंने गरीबों के लिए और काम किया है.
पीएम मोदी के बारे में बताते हुए वह बहुत गंभीर और भावुक हुए और कहा कि, वह एकमात्र ऐसे हैं जिन्होंने हम लोगों के दर्द को समझा है. मोहम्मद शरीफ ने बताया कि उनके बेटे का कुछ साल पहले सुल्तानपुर में कत्ल हो गया था. वह मेडिकल का काम करता था उसके बाद से मैंने हर एक लावारिस लाश का अंतिम संस्कार अपने बेटे को मानकर ही किया है.
उन्होंने कहा कि मैं हर वक्त उसे याद करता हूं मैं किसी लाश का अंतिम संस्कार उसके धर्म को मानकर या देखकर नहीं करता. मेरी साइकिल की छोटी सी दुकान है, मैं उसी से अपनी रोजी रोटी कमाता हूं. मुझे इस अवार्ड की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही हुई है.
मोहम्मद शरीफ ने कहा, मैं सभी का धन्यवाद देता हूं और अगर मीडिया ने मेरी आवाज वहां तक नहीं पहुंचाई होती मेरे कामों को दुनिया तक न पहुंचाया होता, तो आज मुझे यह अवार्ड नहीं मिलता. मेरे जैसे गरीब व्यक्ति को अवार्ड देकर उन्होंने हर गरीब का सम्मान किया है.