कौशांबी और आजमगढ़ से दलित मुस्लिम गठजोड़ को तोड़ेगी बीजेपी, अमित शाह करेंगे चुनावी शंखनाद
Amit Shah Kaushambi Visit : बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह मिशन 2024 की शुरुआत करने 7 अप्रैल को यूपी आ रहे हैं. यहां कौशांबी और आजमगढ़ का दौरा कर वह कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे. आइए जानते हैं क्यों अहम है कौशांबी और आजमगढ़ बीजेपी के लिए.
लखनऊ : बीजेपी उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सियासी शंखनाद करने जा रही है. बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) इसी कड़ी में शुक्रवार को कौशांबी (Kaushambi) और आजमगढ़ (Azamgarh) के दौरे पर आ रहे हैं. शाह के इस दौरे को बीजेपी के मिशन 2024 की रणनीति को समझा जा सकता है. दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा आजमगढ़ में एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत सकी थी. मुस्लिम बहुल जिले की सभी 10 सीटों पर सपा ने जीत का परचम लहराया था.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का 7 अप्रैल को कौशांबी और आजमगढ़ जाएंगे. यहां वह अलग-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे. इस मौके पर अमित शाह जनसभा को भी संबोधित करेंगे. बताया जा रहा है कि इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी मौजूद रहेंगे.
कौशांबी में भी विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था. यहां बीजेपी (BJP) को तीन विधानसभा सीटों- सिराथू, मंझनपुर और चायल में सपा से शिकस्त का सामना करना पड़ा था. डिप्टी सीएम केशव मौर्य (Keshav Prasad Maurya) अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र सिराथू में अपना दल (एस) प्रमुख अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) की बहन सपा की पल्लवी पटेल से चुनाव हार गए थे.
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क्या निकाय चुनाव पर पड़ेगा असर?
यदि पिछले 2017 के निकाय चुनाव की बात करें तो भाजपा दो नगर पालिका परिषद मुबारकपुर और आजमगढ़ में से एक भी नहीं जीत सकी थी. मुबारकपुर से सपा प्रत्याशी कैरुनिशा बेगम और आजमगढ़ से निर्दलीय शीला ने जीत दर्ज की थी. आजमगढ़ की 11 नगर पंचायतों में भाजपा और सपा ने 2-2 सीटों पर कब्जा जमाया था. जबकि शेष 7 सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. वहीं, कौशांबी में छह नगर पंचायतों में से भाजपा, सपा और बसपा ने एक-एक पर जीत हासिल की थी.
दलित-मुस्लिम गठबंधन को तोड़ने की तैयारी
पॉलिटिकल पंडितों मानना है कि कौशांबी और आजमगढ़ के जरिए बीजेपी दलित और मुस्लिम गठबंधन को तोड़ना चाहती है. दरअसल प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी दलित और ओबीसी मतदाताओं को साधने में लगी है. ऐसे में भाजपा दलित सम्मेलन के जरिए यूपी में बीएसपी और सपा वोटरों में सेंध लगाना चाहती है. यूपी में 20 फीसदी दलित वोटर हैं. परंपरागत रूप से दलित वोटर बहुजन समाजवादी पार्टी का वोट बैंक माना जाता है. हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में दलित वोटरों ने भाजपा का साथ दिया है. बताया जा रहा है कि अमित शाह के इस दौरे से निकाय चुनाव में भी बीजेपी सियासी लाभ लेना चाहेगी. दरअसल भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव की तैयारियों में जुट गई है क्योंकि पार्टी इसे 2024 के चुनावी संग्राम का सेमीफानल मानकर चल रही है.
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