UP Nagar Nikay Chunav 2023: कुशीनगर में सपा ने दर्जी से करोड़पति बने रहमत अली को बनाया प्रत्याशी, भ्रष्टाचार-फर्जीवाड़े समेत कई गंभीर आरोप
kushinagar Nagar Nikay Chunav 2023: सपा के फाजिलनगर के प्रत्याशी रहमत अली पर फर्जी तरीके से मदरसों को खोलने फिर छात्रवृति और नियुक्ति करके करोड़ों रुपये कमाने का आरोप है. इतना ही नहीं रहमत पर अपनी पत्नी की गलत जन्मतिथि दिखाकर छात्रवृत्ति भी लेने का आरोप है.
प्रमोद कुमार, कुशीनगर / UP Nagar Nikay Chunav 2023: चुनाव आते ही सभी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करते हैं, लेकिन कई बार वोट बैंक साधने के चक्कर में वे अपनी ही बातें भूल भी जाते हैं. कुछ ऐसा ही कुशीनगर में समाजवादी पार्टी ने किया है. समाजवादी पार्टी ने इस बार नगर निकाय के चुनाव में नवसृजित नगर पंचायत फाजिलनगर से ऐसे व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाया है, जिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं.
प्रत्याशी का नाम है रहमत अली, जिसपर 8 मदरसा खोलकर करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति और मदरसों में फर्जी नियुक्ति करने का गंभीर आरोप है. इस मामले की विजिलेंस गोरखपुर और लोकायुक्त लखनऊ से जांच भी चल रही है. जांच में घोटाला भी पकड़ा गया है. ऐसे में एक घोटालेबाज को सपा द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने पर फाजिलनगर के लोग हैरान हैं. उनका कहना है कि कभी दर्जी का काम करने वाले रहमत अली की ऐसी कौन सी लॉटरी लग गई कि वह कम वक्त में करोड़पति बन गया.
कभी दर्जी था रहमत अली
फाजिलनगर ब्लॉक के अहलादपुर के रहने वाले रहमत अली कभी फाजिलनगर बाजार में ही दर्जी की दुकान चलाकर लोगों के कपड़े सिलने का काम करता था. पूर्व बसपा सरकार में अचानक से उसके दिन बदल गए. उसने फर्जी तरीके से मदरसा खोला और फिर उसका प्रबंधक बन गया. इसके बाद रहमत ने एक-एक करके 8 मदरसे खोले. स्थानीय लोगों को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ये चमत्कार कैसे हुआ. इसी गांव के रहने वाले यासीन मोहम्मद ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में शिकायत की तो रहमत का कच्चा चिठ्ठा सबके सामने आ गया.
पैसा कमाने की चाहत में रहमत अली ने सारे नियमों को दरकिनार करते हुए मदरसा इस्लामिया मकतब अहलादपुर में प्रबंधक रहने के दौरान साल 2012 में खुद की नियुक्ति करवा ली और प्रधानाचार्य बन गया. जबकि नियम है कि प्रबंधक अपनी या अपने किसी रिश्तेदार की नियुक्ति नहीं कर सकता है. लोगों ने जब इस नियुक्ति पर सवाल उठाया तो उसने 2013 में कमेटी से त्याग पत्र देकर मदरसे के एक टीचर की फोटो लगाकर बिहार के एक व्यक्ति को प्रबंधक बना दिया.
मामला उलझता देख रहमत ने मदरसे में चपरासी का काम करने वाले अपने ससुर उस्मान अंसारी को प्रबंधक बना दिया. जिसके बाद उस्मान ने अपनी बेटी और रहमत की पत्नी अजमेरूनेशा को अध्यापक के रूप में नियुक्त कर दिया. हैरान करने वाली बात यह है कि अजमेरूनेशा को पढ़ना-लिखना बिल्कुल नहीं आता है. इस नियुक्ति के बाद से ही मामला खुलकर सामने आया.
बेटियों से उम्र में छोटी है अजमेरुनेशा
दरअसल, मदरसे में नियुक्ति के वक्त अजमेरुनेशा की जन्मतिथि 5/ 4/ 2005 है, जबकि बोर्ड ऑफ अरबिक और परसियन से प्राप्त मार्कशीट और परिवार रजिस्टर की कॉपी में अजमेरुनेशा की उम्र 9/12/1977 दर्ज है. इतना ही नहीं अजमेरुनेशा ने 2015-16 में मदरसे से प्री मैट्रिक छात्रवृति भी प्राप्त की है. छात्रवृति और अध्यापक की नौकरी चाह में ऐसा गड़बड़झाला किया है कि अजमेरुनेशा की उम्र उसकी बेटियों से भी कम हो गई.
रहमत और अजमेरुनेशा की तीन बेटियां हैं, जिनमें से पहली बेटी की जन्मतिथि 22/9/2002, दूसरी बेटी की जन्मतिथि 2/5/2003 और तीसरी बेटी की उम्र 23/9/2004 है. अब सवाल यह है कि जब अजमेरुनेशा का जन्म ही 2005 में हुआ तो 2002, 2003 और 2004 में उसके जन्म से पहले तीन तीन बेटियों का जन्म कैसे हो गया.
रहमत अली के फर्जीवाड़े की शिकायत करने वाले यासीन मोहम्मद का कहना है कि फर्जी मदरसा, उसमें नियुक्ति और करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले की शिकायत अल्पसंख्यक विभाग में की थी, लेकिन विभागीय मिली भगत के कारण केवल जांच करने का आश्वासन मिला. अगर सही से इस घोटाले की जांच हो तो शायद सारी सच्चाई सामने आ जाए.
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