अमेठी लोकसभा सीट पर 1977 के चुनाव में संजय सिंह को जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह से हार मिली. सिंह को 1980 में कांग्रेस के संजय गांधी ने हराया था. इसके बाद इस सीट की पहचान नेहरू-गांधी परिवार के गढ़ के तौर पर होने लगी.
संजय गांधी की मृत्यु के बाद यहां से 1981 में राजीव गांधी चुनावी मैदान में उतरे थे. उनके सामने शरद यादव ने पर्चा भरा लेकिन राजीव गांधी चुनाव जीतने में सफल रहे.
1984 के चुनाव में अमेठी में 'गांधी बनाम गांधी' की लड़ाई देखने को मिली. राजीव गांधी को चुनौती देने के लिए संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा लेकिन उनको जीत नहीं मिली.
अमेठी में 1989 में फिर दो गांधी चुनावी मैदान में थे. राजीव गांधी के सामने महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी ने चुनाव लड़ा लेकिन कामयाब नहीं हुए.
1989 में बसपा के संस्थापक कांशीराम ने भी चुनाव लड़ा था लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई थी.
राजीव गांधी की मृत्यु के बाद अमेठी सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सतीश शर्मा जीतने में कामयाब रहे. 1996 में भी वह सांसद बने
1998 में सतीश शर्मा को बीजेपी के संजय सिंह ने शिकस्त दी थी.
1999 में यहां से सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा और बीजेपी के संजय सिंह को हराकर चुनाव भी जीता.
2004 से लेकर 2019 तक यहां से कांग्रेस से राहुल गांधी चुनाव जीतते रहे.
2019 में एक बार फिर इस सीट पर कमल खिला था. यहां स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया था.
कांग्रेस ने इस बार केएल शर्मा को यहां से प्रत्याशी बनाया है. उनका सामना बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी से होगा.