गर्मियों में कहां घूमने जाएं? अगर ये सवाल आपके भी दिमाग में आ रहा है और कोई नया आइडिया नहीं मिल रहा तो, इस बार आप अपनी गर्मी की छुट्टियां यहां बिता सकते हैं. आइए बताते हैं ऐसे टूरिस्ट प्लेस के कुछ जगहों के बारे में.
गर्मियों की छुट्टियां घर पर बैठकर व्यर्थ करने से अच्छा है आप बैग उठाएं और कहीं घूमने निकल जाएं. अब अगर आपको कोई आइडिया नहीं मिल पा रहा है कि कहां जाएं तो ये ट्रेवल आइडिया आपके काम आ सकता है. जिस जगह की हम बात कर रहे हैं वहां गर्मी के दिनों में भी आपको ठंड का अनुभव होगा. इस जगह का नाम है औली, जो उत्तराखंड में है. यहां कई ऐसे टूरिस्ट प्लेस हैं, जिन्हे देख आपके चेहरे खिल उठेंगे.
औली उत्तराखंड का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो दुनिया भर में स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध है. ये प्राकृतिक स्थल समुद्र तल से 2800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. सेब के बाग, पुराने ओक और देवदार के पेड़ों के साथ औली एक लोकप्रिय पहाड़ी शहर है. जहां हिमालय की सीमा के बीच स्थित कई स्की रिसॉर्ट हैं. औली ढलानों और स्वच्छ वातावरण के कारण भारत में एक लोकप्रिय स्कीइंग डेस्टीनेशन भी है. स्कीइंग के अलावा आप गढ़वाल हिमालय की पहाड़ियों में ट्रैक के लिए जा सकते हैं.
औली खासतौर से अपने ओक-धार ढलानों और शंकुधारी जंगलों के लिए जाना जाता है. औली का इतिहास 8वीं शताब्दी का है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, गुरु आदि शंकराचार्य ने इस पवित्र स्थान का दौरा किया था. उन्होंने औली को अपनी यात्रा से आशीर्वाद दिया था. इस स्थान को 'बुग्याल' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका क्षेत्रीय भाषा में अर्थ है 'मैदानी'. चलिए जानते है औली के खूबसूरत पर्यटन स्थल के बारे में.
नंदा देवी भारत के सबसे ऊंचे हिल स्टेशनों में से एक है. चोटी का नाम स्वयं देवी के आशीर्वाद देने के लिए पड़ा है. चोटी को घेरे हुए नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान भी एक ऐसा स्थान है. जहां आप वनस्पतियों और जीवों और जैव विविधता को देख सकते हैं. भारत का सबसे ऊंचा पर्वत, नंदादेवी 7,817 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
समुद्र तल से 3056 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गोर्सन बुग्याल एक सुरम्य स्थान है. जहां से आप हिमालय जैसे नंदा देवी, त्रिशूल और द्रोण को देख सकते हैं. औली से 3 किमी ट्रैक आपको इस मनोरम स्थान तक ले जाएगा. आप छत्रकुंड की ओर भी ट्रैक कर सकते हैं जो सिर्फ एक किमी दूर है.
गोर्सन बुग्याल से 12 किमी की दूरी पर समुद्र तल से 3380 मीटर की ऊंचाई पर स्थित क्वारी बुग्याल ट्रैकिंग के लिए एक बहुत लोकप्रिय स्थान है. जून से सितंबर तक क्वारी बुग्याल घूमने जाना सबसे अच्छा समय माना जाता है.
पश्चिमी कुमाऊं की तीन हिमालय पर्वत चोटियां त्रिशूल शिखर बनाती हैं. इसकी ऊंचाई 7120 मीटर है. 1907 में, त्रिसूल 7 हजार मीटर की ऊंचाई वाली पहली ऐसी चोटी बन गई थी, जहां किसी ने पहली बार चढ़ाई की थी. चोटी को कौसानी से या रूपकुंड ट्रैक के दौरान सबसे अच्छे देखा जा सकता है. त्रिशूल चोटी तक जाने के लिए जीप सफारी उपलब्ध हैं और लेह तक मिनी बस से यात्रा कर सकते हैं.
चिनाब झील को देखने के लिए आपको बहुत ऊंची चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. अगर आप चढ़ाई चढ़ सकते हैं, तो इस जगह पर जरूर जाएं, क्योंकि यहां का मनोरम दृश्य देखने का मौका बार-बार नहीं मिलता.
हिंदुओं के बीच एक प्रमुख तीर्थस्थल, जोशीमठ कई मंदिरों की मेजबानी करता है. इतिहास के अनुसार, आदि गुरु शंकराचार्य ने यहां सन्यासियों के लिए चार पिठों (केंद्रों) में से एक की स्थापना की थी. जोशीमठ के सभी मंदिरों में, नरसिंह मंदिर सबसे लोकप्रिय है. जोशीमठ बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों का विश्राम स्थल है.
अलकनंदा नदी के पांच ‘प्रयाग’ (संगम) में से एक, रुद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का मिलन बिंदु है. बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों से निकटता की वजह से रुद्रप्रयाग एक व्यस्त बिंदु बना हुआ है. इसके पास कई मंदिर स्थित हैं, जैसे रुद्रनाथ मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर और कई अन्य जहां के आपको दर्शन जरूर करने चाहिए.
दो पवित्र नदियों- नंदकिनी और अलकनंदा के संगम पर स्थित, नंदप्रयाग, बद्रीनाथ और केदारनाथ के तीर्थ स्थलों का एंट्री पॉइंट है. अलकनंदा के तट पर स्थित गोपालजी मंदिर में हर साल भक्त बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, नंदप्रयाग यदुवंश की राजधानी थी. इसे बर्फ से ढके पहाड़ों के मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है.
औली में सबसे रोमांचक चीजों में से एक है केबल कार की सवारी. सवारी 3.96 किलोमीटर की दूरी तय करती है और इसमें 10 टावरों पर 2 केबल कारें हैं. रोपवे की सवारी के दौरान आप नीचे के घाटों और ऊपर पहाड़ों का मनोरम दृश्य देख सकते है. केबल कार की सवारी जोशीमठ से शुरू होकर औली पर खत्म होती है.
ये दर्शनीय स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहता है. यहां से प्रकृति के खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं. ये स्थल घने जंगल के बीच स्थित है, इसलिए यहां की यात्रा करना एक अलग ही अनुभव होगा.
सोलधार तपोवन औली का प्रमुख पर्यटन स्थल है. यहां पर चलने वाले गर्म पानी के फव्वारे देखने लायक होते हैं, लेकिन यहां जाने के लिए पर्यटकों को काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है. कहा जाता है कि जो पर्यटक मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं, वही इस जगह की सैर आसानी से कर सकते हैं.
औली आर्टिफिशियल झील समुद्र तल से ऊंचाई पर स्थित है. इस झील को सरकार ने स्काई ढलानों पर आर्टिफिशियल बर्फ उपलब्ध कराने के लिए बनाई थी. कहा जाता है कि इस झील का पानी स्की ढलानों के साथ रखी स्नो गन्स में भरा जाता है.
भव्य बद्री से तपोवन तक पैदल पहुंचा जा सकता है. ये स्थान घने जंगल के केंद्र में स्थित है. समुद्र तल से 2744 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, ये स्थल पांच बद्री मंदिरों में से एक है. अन्य तीर्थ स्थान हैं बद्रीनाथ, योग ध्यान बद्री, आदि बद्री, और वृद्धा बद्री. मान्यताओं के अनुसार, खराब जलवायु के कारण बद्रीनाथ मंदिर भविष्य में सुलभ नहीं होगा. इसलिए, ये माना जाता है कि इस स्थल को बद्रीनाथ के विकल्प के रूप में पूजा जाएगा.
औली में कुछ बेहतरीन ढलानें हैं जहां आप ट्रैक कर सकते हैं. लगभग 2500 से 3000 मीटर तक की चोटियां. औली में ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए अच्छे ट्रैकिंग मार्ग हैं. आप औली से नंदादेवी, कामेत, मन पर्वत, दुनागिरि, और जोशीमठ जैसे हिमालय की चोटियों तक जा सकते हैं.
विष्णुप्रयाग उत्तराखंड के चमोली जिले में है और समुद्र तल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस राजसी तट पर आप एक प्रसिद्ध विष्णु मंदिर भी देख सकते हैं, जो 1889 में इंदौर की महारानी ने बनवाया था. विष्णुप्रयाग वास्तव में उन पांच स्थानों (पंचप्रयाग) में से एक है, जहां नदी गंगा नदी में बदलने से पहले अपनी बहन सहायक नदियों से मिलती है.