सनातन धर्म में सबसे पवित्र पुस्तक गीता को माना गया है. स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने गीता को सरल भाषा में लिखा है, जिसे यथार्थ गीता नाम दिया गया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का जन्म राजस्थान के उदयपुर जिले के ओसिया गांव में हुआ था.
स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने 'यथार्थ गीता' को आम लोगों के लिए समझाने का काम किया. वे सत्य की खोज में लगातार विचरण करते रहे.
स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज धार्मिक भाषणों और उपदेशों के जरिए सामाजिक भलाई के लिए काम करते रहे. वे अपने गुरु संत परमहंस जी के पास सत्य की खोज में आए थे.
अड़गड़ानंद जी महाराज नवंबर 1955 में 23 वर्ष की उम्र में परमहंस जी महाराज से मिले. कहा जाता है कि परमहंस जी को पहले से सूचना प्राप्त हो गई थी कि अड़गड़ानंद जी मिलने आएंगे.
कहा जाता है कि स्वामी अड़गड़ानंद जी अपने गुरु जी संत परमहंस जी के पास सत्य की खोज में उनके आश्रम चित्रकूट अनुसूया, सतना, मध्य प्रदेश पहुंचे.
परमहंस जी जंगली जानवरों के घने जंगलों में बिना किसी भी सुविधा के रहते थे. यही वजह रही कि स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने भी अपना आश्रम मीरजापुर के सक्तेशगढ़ में बनवाया.
कोरोना काल के दौरान स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज संक्रमित हो गए तो खुद प्रधानमंत्री ने फोन कर उनका हाल जाना था.
स्वामी जी से मिलने के लिए यूपी ही नहीं देशभर के बड़े-बड़े राजनेता उनके आश्रम पहुंचते हैं. स्वामी जी का आश्रम मीरजापुर के सक्तेशगढ़ में है.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज से आशीर्वाद लेने उनके आश्रम पहुंचे थे. तब से अखिलेश आशीर्वाद के रूप में लाल गमछे को हमेशा अपने साथ लेकर चलते हैं.