दीपोत्सव 2020 में सब कुछ पिछले साल से कहीं ज्यादा खास होने वाला है. चाहे वो दीपों की संख्या की बात हो या फिर भव्यता की, दीपोत्सव में इस बार अलग ही वैभव दिखाई देगा. दीपोत्सव की शाम जो भव्यता दिखेगी, उसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.
योगी सरकार इस मौके को एक बार फिर उत्तर प्रदेश की लोककला के प्रमोशन के लिए इस्तेमाल करने वाली है. इस बार दीपावली पर रघुनंदन का स्वागत सिर्फ दीपों नहीं बल्कि रंगारंग कार्यक्रम से होने वाला है.
इस कार्यक्रम में सात अलग-अलग प्रदेशों की लोक संस्कृतियां दिखाई जाएंगी.
भगवान राम के पुष्पक विमान से अयोध्या की धरती पर उतरने के साथ ही देश के अलग-अलग प्रदेशों से आए विभिन्न संस्कृतियों के कलाकार अपने अनूठे अंदाज में स्वागत की शुरुआत करेंगे.
रघुनंदन के स्वागत में रामनगरी में गुजरात से लेकर बुंदेलखण्ड तक सात अनूठी संस्कृतियों का मिलन सरयू तट पर एक साथ होगा.
रघुनंदन के स्वागत में रामनगरी में गुजरात से लेकर बुंदेलखण्ड तक सात अनूठी संस्कृतियों का मिलन सरयू तट पर एक साथ होगा.
योगी सरकार ने दीपोत्सव को खास बनाने के लिए गुजरात,महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश,राजस्थान,उत्तराखण्ड,ब्रज और बुंदेलखण्ड के लोक कलाकारों के साथ ही स्थानीय कलाकारों को भी अयोध्या बुलाया है.
सरयू तट पर लाखों की संख्या में झिलमिलाते दीपों के बीच संस्कृतियों और लोक कलाओं की सतरंगी छटा अयोध्या नगरी को अदभुत और अलौकिक बनाएगी.
दुनिया भर में आकर्षण और कौतूहल का केंद्र बनी अयोध्या में दीपोत्सव के जरिये योगी सरकार समूचे विश्व को भारत के सांस्कृतिक वैभव का संदेश भी देने जा रही है.
दीपोत्सव के जरिये योगी सरकार खास तौर से बुंदेलखण्ड के लोक कलाकारों को विश्वस्तरीय मंच देगी.
राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने बुंदेलखण्ड की दीवारी टोली को विशेष तौर पर दीपोत्सव में शामिल किया है.
दोहा,छंद,चौपाई की तान, ढोल की थाप और थाली की छन- छन की धुन पर मस्त बुंदेली जवानों की नृत्य करती टोली दीपोत्सव को अपने अनूठे अंदाज में खास बनाएगी.
दीवारी टोली के 15 सदस्य अयोध्या पहुंच कर तैयारियों में जुट गए हैं. शुक्रवार को सरयू तट पर रामकथा पार्क में देश भर के अन्य कलाकारों के साथ ही बुंदेलखण्ड के कलाकारों की टोली भी अपने हुनर का प्रदर्शन करेगी.
सरयू तट पर बुंदेलखण्ड के कलाकारों को सबसे बड़ा मंच देने के पीछे योगी सरकार की मंशा बुंदेलखण्ड के सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को गति देने की है.
बुंदेलखंड के अलावा भी 6 प्रदेशों के लोकनर्तक रघुनंदन के स्वागत के लिए तैयार हैं.
रामायण से जुड़ी हुई झांकियां अपने अंतिम दौर में हैं. कलाकारों का कॉस्ट्यूम, किरदार सब बिल्कुल तैयार है.
साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि तक जाने वाले इन झांकियों में श्रीराम के जीवन से जुड़ी तमाम घटनाएं दर्शायी जा रही हैं.