सीएम योगी गोरखपुर दौरे पर हैं. शनिवार को वह दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी पहुंचे. यहां छात्रों को भविष्य में सक्सेस का मंत्र दिए. गोरखपुर यूनिवर्सिटी का स्वर्णिम इतिहास रहा है. इस यूनिवर्सिटी से कई मंत्री पढ़कर निकले.
दरअसल, आजाद भारत में उत्तर प्रदेश के पहले विश्वविद्यालय की नींव राज्य के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने 1957 में रखी थी.
11 अप्रैल 1957 को बीएन झा ने पहले कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला. पहले इसका नाम गोरखपुर विश्वविद्यालय था.
बाद में साल 1997 में इसका नाम दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय कर दिया गया.
गीता प्रेस के संस्थापकों में से एक हनुमान प्रसाद पोद्दार एवं सरदार मजीठिया ने भी इस यूनिवर्सिटी को बनाने में मदद की.
वर्तमान में इस विश्वविद्यालय के साथ 350 से ज्यादा कॉलेज सम्बद्ध हैं. यहां छात्रों की कुल संख्या करीब 2.75 लाख है.
गोरखपुर विश्वविद्यालय कैंपस में करीब 15 हजार स्टूडेंट्स पंजीकृत हैं. यहां करीब सौ से ज्यादा कोर्स संचालित किए जा रहे हैं.
अभी गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुल 13 स्नातक और 36 परास्नातक कोर्स संचालित किए जा रहे हैं.
इसके साथ ही सेल्फ फाइनेंस के तीन यूजी, नौ पीजी कोर्सेज भी उपलब्ध हैं. पीजी डिप्लोमा के 23, डिप्लोमा के 10, एडवांस डिप्लोमा के दो और 29 सर्टिफिकेट कोर्सेज भी उपलब्ध हैं.
गोरखपुर विश्वविद्यालय में रेगुलर कोर्सेज की फीस तीन से पांच हजार प्रति सेमेस्टर है. साथ ही यहां सस्ती फीस में बीटे की भी पढ़ाई होती है.
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने यहां से पढ़ाई की.
इसके अलावा एमपी जगदंबिका पाल, प्रमुख साहित्यकार पद्मश्री विश्वनाथ तिवारी, पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, जनरल एसपीएम त्रिपाठी समेत इस विश्वविद्यालय ने एक दर्जन से ज्यादा कुलपति भी दिए हैं.